भोपाल ( कशिश मालवीय ) छिंदवाड़ा में कफ सिरप पीने से 10 बच्चों की मौत के मामले में सरकार ने कड़ा एक्शन लिया है | जांच रिपोर्ट आने के बाद राज्य में कफ सिरप को बैन कर दिया गया | बच्चों की मौत के मामले की जांच में अब कई पोल खोल रही है | तमिलनाडु सरकार की जांच में साफ हो गया है कि कफ सीरप में इस्तेमाल किया गया प्रोपीलीन ग्लाइकॉल फार्मा ग्रेड का नहीं था | यानी वह इंडस्ट्रियल ग्रेड का था – जो दवा निर्माण में प्रतिबंधित है | इंडस्ट्रियल ग्रेड प्रोपीलीन ग्लाइकॉल सस्ता तो पड़ता है , लेकिन इसमें डायएथीलीन ग्लाइकॉल ( डीईजी ) और एथिलीन ग्लाइकॉल ( ईजी ) जैसे जहरीले रसायनिक तत्व मिल जाते हैं | यही तत्व शरीर में पहुंचने पर किडनी , लीवर और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं | बच्चों के मामले में ये असर जानलेवा हो सकता है | जिस सिरप से बच्चों की मौत हुई , उससे 48% से अधिक डीईजी मिला था | आमतौर पर गैर फार्मा प्रोपीलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल सौंदर्य प्रसाधन , प्लास्टिक , पेंट , गैर विषाक्त एंटी – फ्रिज में होता है | कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली फर्म श्रीसन फार्मास्यूटिकल ने इसे चोरी छिपे चेन्नई स्थित पार्क टाउन की सनराइज बायोटैक से खरीदा था |
तमिलनाडु सरकार की 44 पेज की जांच रिपोर्ट मौजूद है | इसमें बताया गया है कि कंपनी के पास प्रोपीलीन ग्लाइकॉल की खरीदी का बैच नंबर नहीं था कंपनी ने इस बात का परीक्षण तक नहीं किया कि प्रोपीलीन ग्लाइकॉल में डीईजी / ईजी उपस्थित है या नहीं |
तमिलनाडु सरकार की जांच में सामने आया कि दो अलग – अलग तारीखों में 50 – 50 किलो प्रोपीलीन ग्लाइकॉल बिना खरीद चालान के लिया गया | भुगतान भी नकद और गूगल पे से किया | बिना चालान खरीदी अवैध श्रेणी में आती है |
दवा बनाने के नियमों का पालन नहीं किया गया | जांच में 39 गंभीर और 325 बड़ी गड़बड़ीयां पाई गईं |
फैक्ट्री में जरूरत से ज्यादा कच्चा माल रखा गया था | सफाई भी नहीं थी | कंपनी ने दवा बनाने के जरूरी नियमों का पालन नहीं किया |
विशेषज्ञों के मुताबिक अगर सिरप में गैर फार्मा ग्रेड प्रोपीलीन ग्लासकॉल डाला गया तो यह सीधे दवा की सुरक्षा और प्रभावकरिता पर असर डालता है | बच्चों के लिए जहरीला हो सकता है | कच्चे माल की शुद्धता टेस्ट करनी जरूरी थी जो नही की गई नतीजतन कई माँ बहनों की गोद सुनी हो गयी अब देखना है कि मुख्यमंत्री के कड़ी कार्यवाही का आश्वासन क्या उन माँओ के जख्मों पर मरहम लगा पता है या फिर कड़ी कार्यवाही एक चुनावी आश्वासन साबित होता है।