भोपाल : 20/12/2024 : सरकारी सेवा में कार्यरत लोगों को सरकार की और से जो आवास आवंटित किए गए हैं उन आवासों में कर्मचारी न रहते हुए उनमें किराएदार छोड़ दिए हैं जिससे उन्हें हर महीने किराया मिलता है | जबकि नियामानुसार आवास जिसे आवंटित हुआ है उसे ही रहने की पात्रता है कोई भी कर्मचारी सरकारी आवास में अपने सगे रिश्तेदार को भी नहीं रख सकता, लेकिन यहां तो स्थिति बिल्कुल विपरीत है इन सरकारी आवासों में दूसरे परिवार किराए से रह रहे हैं, और हैरत की बात तो यह है कि किराए पर चल रहे इन सरकारी मकानों से महज 20 मीटर की दूरी पर ही संपदा का दफ्तर है, जो सरकारी आवासों के आवंटन का जिम्मा संभालता है | वहीं दूसरी तरफ कई ऐसे कर्मचारी भी हैं जो सरकारी आवास न मिलने के कारण किराए के मकानों में जिंदगी गुजार रहे हैं | बावजूद इसके सरकार भाड़े पर सरकारी आवास चलाने वालों पर मेहरबान बनी हुई है | इतना ही नहीं कई सरकारी आवासों पर मकान किराए पर देने के बोर्ड तक लटक रहे हैं लेकिन इन पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है | वल्लभ भवन के कर्मचारी सुनील पारिख उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला के बंगले पर सुपरवाइज़र हैं, इनको जो मकान आवंटित है उसमें वह कुछ समय ही रहे फिर वह अपने निजी मकान में चले गए उनके सरकारी आवास में किराए पर ग्वालियर के तीन युवा रहते हैं | जबकि सुनील का कहना है कि मेरे मकान में मेरे भतीजे मेरे साथ रहते हैं, मुझे नियमों का ज्ञान है | ‘मतलब चोरी और सीना जोरी’ इसी तरह सईद –उल हसन ने सरकारी आवास को 13 साल से कमाई का जरिया बनाया हुआ है | हसन अभी मानव अधिकार आयोग में बतौर एलडीसी पदस्थ हैं | उनके मकान में एक डॉक्टर रहते हैं, जबकि उन्होने इस बात से साफ इंकार कर दिया है उनका कहना है कि इस आवास में मैं अपने परिवार के साथ रहता हूं कुछ समय पहले परिवार में किसी का निधन हो गया था, इसलिए उस समय अपने परिचित डॉक्टर को यहां रहने के लिए कह दिया था | इस संबंध में संपदा संचालनालय आवंटन निष्कासन अधिकारी प्रीति श्रीवास्तव का कहना है कि अगर सरकारी आवासों को किराए पर दिया गया है तो हम चैक कराकर ऐसा करने वालों के खिलाफ बेदखली की कार्यवाही करेंगे |
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