भोपाल( कशिश मालवीय ) भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े आपराधिक मामलों में 4 दशकों से चल रही देरी पर मप्र हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है | मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने बोला कि इतने गंभीर मामले को 40 साल तक न्यायिक प्रक्रिया में लटकाए रखना स्वीकार्य नहीं है कोर्ट ने सीधे निर्देश दिए कि इन मामलों को प्राथमिकता से सुना जाए , और निचली अदालतें हर महीने प्रगति रिपोर्ट हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भेजें , जिसे मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाएगा |
यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक हुई | सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 5 हजार से अधिक मौतें हुईं , करीब 6 लाख लोग प्रभावित हुए | गैस पीड़िता संगठनों का कहना है कि मौतें इससे 5 गुना ज्यादा |
यूसीसी के चेयरमैन वॉरेन एंडरसन , यूको इंडिया के चेयरमैन केशव महिंद्रा और एमडी वीपी गोखले गिरफ्तार हुए | एंडरसन को 2000 डॉलर के निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया | वह अमेरिका लौट गया |
सुप्रीम कोर्ट ने 1991 फैसला पलटा , कंपनी की आपराधिक छूट खत्म कर दी |
भोपाल कोर्ट 1992 में डाउ केमिकल को दोषी मानते हुए नया केस दर्ज हुआ |
7 जून 2010 भोपाल कोर्ट ने केशव महिंद्रा और वीपी गोखले समेत कई आरोपियों को सजा सुनाई |
डाउ केमिकल ने 2001 में यूनियन कार्बाइड को खरीदा | उनका कहना है कि वह भारत में पंजीक्रत कंपनी नहीं है , इसलिए भारतीय कोर्ट उस पर केस नहीं चला सकतीं | पीड़िता संगठन मानते हैं कि डाउ ने यूसीसी का बिजनेस और एसेटस लिए तो जवाबदारी भी लेनी चाहिए |
यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के विनिष्टीकरण से बनी राख की सीलबंद जांच रिपोर्ट बुधवार को मप्र हाईकोर्ट में पेश की गई | जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप मित्तल की बेंच को बताया गया कि राख की वैज्ञानिक जांच अभी होना है , जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई 8 अक्टूबर तय करी है |