भोपाल ( कशिश मालवीय ) राजधानी में अब तक 19 सैंपल्स की जांच तीन कफ सिरप फेल हो चुके हैं, भोपाल में एक नहीं बल्कि , पांच दुकानों से रीलाइफ और रेस्पिफ्रेस सिरप की बिलिंग हुई थी | मंगलवार को फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की टीम ने इन पांचों दुकानों का निरीक्षण किया | इस दौरान तीन दुकानों से सैंपल इकट्ठा किए गए हैं | वहीं , दो दुकानों ने टीम को जानकारी दी कि उन्हें जैसे ही सूचना मिली कि इन दोनों सिरप के सैंपल फेल हो गए हैं उन्होंने , सिरप का पूरा बैच कंपनी को वापस भेज दिया है |
मंगलवार को दवा बाजार में फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन यानी एफडीए की टीम ने छापेमारी की जिन दो कफ सिरप रेस्पिफ्रेस और एएनएफ कफ सिरप पर प्रतिबंध लगाया गया है एफडीए की टीम ने दवा दुकानों पर पहुंचकर इन कफ सिरप की बोतलें जब्त कीं एफडीए की टीम ने सैंपल के लिए 10 बोतल को सील किया और बाकी 80 बोतल को भी जब्त कर लिया राजधानी में पांच एजेंसियों में प्रतिबंधित सिरप की बिलिंग की गयी थी गौरतलब है, कि कफ सिरप रीलाइफ और रेस्पिफ्रेस टीआर में खतरनाक केमिकल डायएथिलीन ग्लाइकॉल की अधिक मात्रा पाई गयी थी मप्र फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की जांच रिपोर्ट में इन दवाओं को अमानक घोषित किया गया था |
निदेशक फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन दिनेश श्रीवास्तव बोले -हम अपने लैब की जांच क्षमता को छह हजार प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 30 हजार करने जा रहे हैं | इसके लैब टेक्नीशियन और अन्य स्टॉफ की व्यवस्था करेंगे |
19 दवाओं के नमूने की जांच में तीन दवाएं अमानक पाई हैं | संदिग्ध अमानक दवाओं के 6000 हजार नमूने लिए जांच करने की लैब की क्षमता भी प्रति वर्ष छह हजार ही है | यानी इनकी जांच में एक साल लगेगा एफडीए के निदेशक उन नमूनों की जांच की प्राथमिकता देंगे जिनमें अधिक आशंका होगी |
भोपाल केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र धाकड़ ने बताया कि संगठन की ओर सभी मेडिकल स्टोर्स को सर्कुलर जारी किया है, इसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बिना डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के कोई भी दवा न दी जाए | धाकड़ ने बताया कि एफडीए की कार्रवाई में संगठन पूर्ण सहयोग कर रहा है और भी स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी |
भोपाल एफडीए के अधिकरियों के अनुसार शहर के सभी दवा दुकानों की जांच करने में महीनों लगेंगे , क्योंकि मेडिकल स्टोर की तुलना में एफडीए के निरीक्षकों की संख्या बहुत कम है | एफडीए के नव नियुक्त निदेशक दिनेश श्रीवास्तव ने बताया कि भोपाल में ड्रग्स निरीक्षकों की छह टीमें मेडिकल स्टोर्स की जांच कर रही हैं | जबकि , राजधानी में पंजीक्रत दवा दुकानों की संख्या 2000 से ज्यादा हैं | ऐसे में यदि जांच टीम दिन में दो मेडिकल स्टोर की जांच करती है , तो सिर्फ जांच कर प्रतिबंध दवाओं का पता लगाने और उसे जब्त करने में ही चार महीने लग जाएंगे |