भोपाल( कशिश मालवीय ) प्रदेश में सफाईकर्मी ट्रैंक में बिना सुरक्षा उपकरणों के उतरकर खुद ही सफाई कर रहे हैं | कई छोटे निकायों में पर्याप्त मशीनें और सुरक्षा उपकरण ही नहीं हैं , जबकि कुछ स्थानों पर ठेकेदार यह काम कर रहे हैं जो नियमों का पालन नहीं करते हुए हाथों से ही यह काम करा रहे हैं |
सीवर टैंक , मैनहोल आदि की मैनुअल सफाई प्रतिबंधित है | कई नियम , कानून और गइडलाइन बनी हुई है , लेकिन कागजों तक हैं , क्योंकि पालन नहीं हो पा रहा | प्रदेश में लागू पॉलिसी के तहत सभी मैनहोल को मशीन होल में बदलना है , लेकिन यह काम भी अभी तक नहीं हो पाया है |
हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम 2013 लागू है | स्थानीय निकायों के लिए उपयोगित जल प्रबंधन नीति 2023 भी लागू है | सरकार ने निकायों को फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने वित्तीय सहायक उपलब्ध कराई , लेकिन नाकाफी साबित हुई | निकायों में मशीनक्रत और सुरक्षित सफाई के लिए वैक्यूम टैंकर्स और सुरक्षा गियर भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं | कई बार विभाग से बजट उपलब्ध कराया जाता है , लेकिन निकाय कहीं और उपयोग कर लेते हैं | सफाई कर्मचारी पर्याप्त सुरक्षात्मक गियर और सुरक्षा उपकरणों के सफाई के लिए उतरते हैं और हादसा हो जाता है | निजी ठेकेदार भी सेप्टिक टैंक साफ करने की सेवाएं दे रहे हैं |
निजी ठेकेदारों को नियमानुसार नगरीय निकाय से अनुमति लेना जरूरी है | कहीं टैंक की सफाई का काम करने के पहले भी निकाय प्रशासन को जानकारी देकर अनुमति लेना जरूरी है | इसकी न तो निगरानी हो रही है और उचित कार्रवाई | नगरीय प्रशासन संचालनालय में स्वच्छता प्रभारी संयुक्त संचालक नीलेश दुबे का कहना है कि निजी क्षेत्र के ठेकेदार और सफाईकर्मी नियमों का पालन नहीं कर रहे , इसलिए समस्या हो रही है | सतना में जो हादसा हुआ वह भी निजी कर्मचारी ही थे |
नगरीय विकास विभाग के सेवानिव्रत्त संयुक्त संचालक हिमांशु सिंह के अनुसार हादसा मीथेन गैस के कारण होते है | निकायों की तरफ से सख्ती जरूरी है , निजी ठेकेदारों का पंजीयन , उन्हें प्रशिक्षण देना चाहिए | बिना अनुमति काम करते मिले तो कार्रवाई हो | निकायों के पास पर्याप्त उपकरण , चलाने वाले रखरखाव होना चाहिए |