भोपाल : 27/07/2024 : मप्र के 18 जिलों में सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर बच्चों के साथ खिलवाड़ हो रहा है इन सरकारी स्कूलों में जहां बच्चे मौजूद हैं वहां एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं है और जहां एक बच्चा भी नहीं आता वहां रसूखदारों के रिश्तेदार दो दो शिक्षक आराम फरमाते हैं | राजगढ़ जिले के बलबहादुर पुरा के सरकारी माध्यमिक स्कूल पर ताला लटका हुआ है यहाँ कोई शिक्षक नियुक्त नहीं है एक अस्थायी शिक्षक हैं लेकिन वह भी अधिकतर गायब रहते हैं | यहाँ 35 से अधिक बच्चे स्कूल के बाहर बैठे स्कूल खुलने का इंतज़ार करते रहते हैं और शिक्षक नहीं आने पर उन्हें अपने अपने घर वापस जाना पड़ता है | भिंड जिले के आलमपुर के पास तिघरा खुर्द स्कूल में एक भी विद्दार्थी नहीं है यह स्कूल सालभर से खुला तक नहीं लेकिन यहाँ दो दो शिक्षक पदस्थ हैं इनमें से एक शिक्षक भाजपा नेता अशोक चौधरी के चचेरे भाई हैं | स्कूल की बिल्डिंग क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं शिक्षकों की रोज़ हाजिरी लगती है ताकि उन्हें सरकार से हर माह वेतन प्राप्त हो सके | इसी तरह मुरैना जिले के प्राइमरी स्कूल में दो साल से एक भी विद्दार्थी नहीं है, लेकिन दो शिक्षक जो पूर्व विधायक के नज़दीकीं हैं वह पदस्थ हैं | हफ्ते में 3 दिन एक शिक्षक आता है तो बाकी के 3 दिन दूसरा शिक्षक, दो साल पहले तक यहाँ 150 बच्चे पढ़ते थे, लेकिन पढ़ाई न होने के कारण बच्चों ने टीसी लेकर दूसरे स्कूलों में प्रवेश ले लिया है | यही हाल ग्वालियर, भोपाल, सागर और नर्मदापुरम संभाग के 18 जिलों के कई स्कूलों का है | इन स्कूलों में बच्चे नहीं हैं, लेकिन राजनीतिक रसूख के कारण शिक्षक डटे हुए हैं | वहीं, दूसरी ओर इन्हीं 18 जिलों में 485 स्कूल हैं, जहां शिक्षक एक भी नहीं है | जबकि इन्हीं जिलों में 14 हज़ार के करीब शिक्षक अतिरिक्त हैं जो या तो बिना बच्चों वाले स्कूलों में तैनात हैं या फिर दफ्तर के कामों में लगे हैं | शिक्षक विहीन स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से ठप पड़ी हुई है, लेकिन इस ओर कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं |
Home / शिक्षा / मप्र के सरकारी स्कूलों में व्यवस्थाएं चरमराई पढ़ाई के नाम पर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़
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