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मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता राशि स्वीकृत कराने वाले एजेंट अस्पताल संचालकों और मंत्रालय में बैठे अफसरों की मिलीभगत से कर रहे घोटाला, लेकिन इन अफसरों पर कोई कार्यवाही नहीं |


भोपाल : 05/08/2024 : मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता राशि में सेंधमारी का बड़ा खेल धीरे – धीरे उजागर हो रहा है | 7 जुलाई को मंत्रालय में फर्जी फाइल जमा करने वाले एजेंट अरुण नागर ने जिस डॉ. कदम की मदद से राशि स्वीकृत कराने का दावा किया था उस डॉक्टर पर तो तीन साल पहले भी फर्जी फाइल स्वीकृत करने का आरोप लग चुका है | साढ़े तीन साल पुराने इस मामले में भोपाल के परवालिया सड़क स्थित सफलता सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल की ओर से फर्जी फाइल जमा कराई गई थी | जिसमें फ्लेमिंगो कॉलोनी आकृति ईको सिटी निवासी 68 वर्षीय दिनेशचंद्र जोशी को दुर्घटना में गंभीर घायल बताकर 98 हज़ार की राशि मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता से मांगी गई थी | जोशी के फर्जी हस्ताक्षर करके जमा कराए गए आवेदन की तारीख से 2 दिन बाद ही राशि स्वीकृत होने का मैसेज जोशी के मोबाइल पर आ गया था, जिसे देखकर वे चौंक गए थे | बाद में मंत्रालय से आए एक फोन पर उनसे बीमारी और इलाज के बारे में पूछा गया लेकिन वे तो किसी अस्पताल में भर्ती ही नहीं थे और न ही उनका एक्सीडेंट हुआ था | उन्होने अपनी पूरी सच्चाई बताते हुए भुगतान रोकने के लिए कहा, लेकिन जब तक तो कलेक्टर कार्यालय में भुगतान के लिए फाइल पहुँच चुकी थी | उनके पास खाते में राशि ट्रांसफर करने के लिए भी फोन आने लगा, उन्होने वहां भी किसी भी तरह के एक्सीडेंट और अस्पताल में भर्ती होने की बात से इनकार करते हुए भुगतान रोकने के लिए कहा | फर्जी आवेदन पर स्वीकृति मिलने के संबंध में सफलता सुपर स्पेशलिटी के तीन डॉक्टर (डॉ. रजनी मालवीय, डॉ. आशीष आनंद राव और डॉ. सुरेश उईके) के खिलाफ तीन साल पहले एफआईआर दर्ज हुई थी, लेकिन अब तक उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई | फर्जीवाड़े का पूरा खेल निजी अस्पताल संचालकों और मंत्रालय में बैठे अफसरों की मिलीभगत से ही चल रहा है लेकिन पुलिस की जांच अब तक निजी अस्पतालों तक ही सीमित है | जोशी का आरोप है कि पुलिस अधिकारी एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही जानबूझकर मंत्रालय के अफसरों को बचाते आ रहे हैं | यही कारण है कि साढ़े तीन साल बाद भी किसी पर कोई कार्यवाही नहीं की गई |

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