भोपाल ( कशिश मालवीय ) गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के काटने की घटनाओं में एक्शन लेते हुए सख्ती आदेश जारी किए | कोर्ट ने अधिकारियों से कहा 8 हफ्तों में स्कूल – कॉलेज , अस्पताल , बस स्टैंड जैसी इन सार्वजनिक स्थानों से हटाकर कुत्तों को नसबंदी , टीके बाद शेल्टर होम भेजें | रेलवे स्टेशन में कोर्ट ने एनएचएआई को भी हाइवे और एक्स्प्रेसवे से आवारा जानवर और मवेशियों को हटाने को कहा |
जस्टिस विक्रम नाथ , जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की विशेष बेंच ने कई निर्देश पारित किए | कोर्ट ने कहा कि राज्य और केंद्र शासित क्षेत्रों दो सप्ताह के भीतर ऐसे संस्थानों की पहचान करें | संस्थानों के प्रशासनिक प्रमुख कुत्तों के घुसने से रोकने के लिए परिसर के चारों ओर बाड़ , चहारदीवारी , गेट आदि लगाना सुनिश्चित करें | बेंच ने यह भी कहा कि ये काम 8 हफ्ते में पूरा होना चाहिए | पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी ने फैसले को अव्यावहारिक बताया , उन्होंने यह जस्टिस पारदीवाला के फैसले जितना ही बुरा है | फ़ैसले को अमल में नहीं लाया जा सकता | 5000 कुत्तों को हटाएँगे तो कहां रखेंगे ? पीपल फॉर एनिमल्स इंडिया की ट्रेस्टी गौरी मौलेखी ने कहा , ‘ बेंच ने किसी भी पक्ष को नहीं सुना | अगली सुनवाई 13 जनवरी को होगी |
नगरीय निकाय ऐसे सभी परिसरों का हर तीन महीने में निरीक्षण करें ताकि सुनिश्चित हो कि इनके भीतर या आसपास आवारा कुत्ते न हों | यह निकाय की ज़िम्मेदारी होगी कि वे संस्थानों के परिसर वाले हर आवारा कुत्ते को हटाए | आवारा कुत्तों को उस स्थान पर वापस न छोड़े , जहां से पकड़ा था |
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