भोपाल ( सैफुद्दीन सैफी ) राजधानी में सरकारी विभागों में सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर बड़ी चालबाजी चल रही है | करोड़ों रुपए प्रति माह निजी कंपनियों को भुगतान किए जा रहे हैं , इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदकर बैठे है | उन्हें यह तक पता नहीं कि जिस कंपनी को सुरक्षा का ठेका दिया गया है , वह कितनी भरोसेमंद है | एक ही कंपनी को बार – बार टेंडर दे दिया जाता है , मानो कोई फिक्सिंग चल रही हो | ऐसा ही एक मामला सामने आया है संस्क्रति संचालनायल में यहां के 11 विभागों में बीते 12 साल से क्लासिक सिक्योरिटी नाम की कंपनी को सुरक्षा का ठेका दिया जा रहा है | इस कंपनी के संचालक पर 9 आपराधिक मामले दर्ज हैं | गृह विभाग ने इसीलिए 2017 के बाद कंपनी का लाइसेंस रिन्यू नहीं किया | फिर भी संस्क्राति संचालनालय ने इस कंपनी को नहीं हटाया , बल्कि हर महीने लाखों रुपए का भुगतान कर रहे हैं | बताया जा रहा है कि क्लासिक सिक्योरिटी को करीब 5 करोड़ रुपए का भुगतान संस्क्राति संचालनालय द्वारा किया जा चुका है | भुगतान राशि का 18 प्रतिशत जीएसटी भी हर महीने दिया जा रहा है लेकिन कंपनी जीएसटी भर ही नहीं रही है , यानी साफ – साफ टैक्स चोरी | शिकायत पर इस कंपनी के ठिकानों पर जीएसटी टीम ने हल ही में छापेमारी भी की है |
क्लासिक सिक्योरिटी संचालक राजकुमार पांडे के खिलाफ टीटी नगर थाना , एमपी नगर , कमलानगर में कुल 9 मामले दर्ज हैं | ऐसे में एडिशनल डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट ने थानों को पांडे के शस्त्र लाइलेंस की जांच करने किए पत्र लिखा था | इसके बाद भी राजकुमार के पास बंदूक है | कंपनी का लाइसेंस 11 मई 2012 को जारी हुआ था , जो 11 मई 2017 तक वैध था | लेकिन कंपनी के खिलाफ 9 आपराधिक मामले दर्ज होने पर गृह मंत्रालय ने लाइसेंस रिन्यू नहीं किया | पांडे की कंपनी क्लासिक सिक्योरिटी को संस्क्रति संचालनालय ने साल 2017 से लेकर 2025 तक के बीच कुल भुगतान की राशि का 18% जीएसटी के रूप में करीब 95 लाख का भुगतान भी किया है | लेकिन कंपनी ने एक रुपए भी जीएसटी के रूप में नहीं कराया है | वहीं , संस्क्राति संचालनालय के डायरेक्टर एनपी नामदेव का कहना है कि संचालनालय में सिक्योरिटी के लिए दूसरी दो कंपनी भी लगी हुई हैं जांच के बाद ही कुछ बता सकता हूं |
गौर तलब ये भी है कि मध्यप्रदेश इन दिनो मंत्रियो विधायकों और कद्दावर भाजपा नेताओ के संरक्षण में कई ऐसी निजी सुरक्षा एजेंसी चल रही है जो खुले आम नियम कानून कायदों को ताक में रखकर काम कर रही है जिसमे सुरक्षा में लगे कर्मचारियो का जमकर आर्थिक शोषण हो रहा है और सरकार आंखे मूँद बैठी है।