भोपाल ( सैफुद्दीन सैफी)
राजधानी मेँ करोड़ो रुपया खर्च कर के जे॰ पी॰ अस्पताल का कायाकल्प जनता को बेहतर चिकित्सा मिले
इस उद्देश्य से किया गया था, मगर ये न होकर यहाँ आए दिन कुछ न कुछ ऐसे कांड होते रहते है जिसको देख सुनकर
लगता है कि, प्रदेश कि मोहन सरकार ने यहाँ के अस्पताल प्रशासन को सिर्फ इलाज़ को छोडकर बाकी सब कुछ करने कि खुली छुट प्रदान करी हुई है।
हाल ही मेँ जो नया कांड जे॰पी॰ अस्पताल मेँ सामने आया हें उससे देख कर ये ही लगता हें कि यहाँ पदस्थ अधीक्षक सी॰ एम॰ ओ॰ को सरकार ने अपनी मनमर्जी करने को ही पदस्थ किया हुआ है॰
गौर तलब हें कि जे॰पी॰ अस्पताल के स्टोर मे गुपचुप तरीके से दवाओं को नष्ट करने का एक मामला सामने आया है
खबर हे कि अस्पताल प्रबंधन ने जिसको साफ सफाई का टेंडर दिया था उस के ही कर्मचारियो से एक्सपायर हो चुकी दवाओं को नष्ट करने कि ज़िम्मेदारी सौप दी इसमे से कुछ सामाग्री सफाई कर्मचारियो ने गुपचुप तरीके से कवाड़ियों को भी बेच दी
यहाँ तक कि जो दवाए अभी दो वर्ष पहले मरीजो को बांटने के लिए खरीदी गयी थी उन तक को नही बांटा
रखे रखे वो एक्सपयार हो गई उनको भी नष्ट करवा दिया जानकारी के अनुसार किसी भी तरह के मेडिकल वेस्ट को नष्ट
करने से पहले एक कमेटी बना कर उसकी सूची देकर नष्ट किया जाता है मगर अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले मे नियम
कायदों का पालन क्यों नही किया ये एक गंभीर जांच का विषय है चूंकि अभी प्रदेश कि मोहन सरकार चुनाव मे व्यस्त हे उम्मीद कि जानी चाहिए कि 4 जून के बाद सरकार जे पी अस्पताल प्रबंधन के कारनामे बाज अधिकारियों कि खबर लेगी