ग्वालियर : 23/10/2024 : प्रदेश में फर्जी दिव्यांग्ता सर्टिफिकेट के बाद अब फर्जी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी करने वालों का भांडा फूट गया है | मप्र पुलिस और एसएएफ में ऐसे 200 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत हैं जिनके अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र संदेह के घेरे में हैं | रामसिंह और धर्मेंद्र सहित 10 लोगों के खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र (एसटी) का उपयोग करने के मामले में मार्च 2019 में एफआईआर दर्ज हुई इसके खिलाफ इन सभी ने अप्रैल 2019 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की, पहली ही सुनवाई में सभी को फौरी राहत मिल गई | हाई कोर्ट में सुनवाई के 5 साल बीतने के बाद भी जांच एजेंसी स्टे नहीं हटवा पाई नतीजा मामले में अभी तक फ़ैसला नहीं हो सका है | हालांकि तब से इनका प्रमोशन रुका है | जिन पर आरोप हैं वो अधिकारी कर्मचारी एसएएफ और मप्र पुलिस में अब भी सेवाएं दे रहे हैं | टिहौली के कई युवकों द्वारा अनुसूचित जनजाति का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने की शिकायत ग्वालियर निवासी गोविंद पाठक ने दी थी, उन्होने दावा किया था कि यह युवक भोई जाति के होकर ओबीसी से हैं | आरोप की जांच हुई जिसमें कुल 10 युवकों के प्रमाण पत्र प्रथम दृष्टया फर्जी पाए गए | इसके आधार पर पुलिस थाना सीआईडी मुख्यालय में 13 मार्च 2019 को धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज़ तैयार करने सहित अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया | कुछ पुलिसकर्मियों ने शिकायतों पर हाई कोर्ट से स्टे प्राप्त किया है, विधिक राय लेकर इसे हटाने के लिए तुरंत सुनवाई का आवेदन प्रस्तुत करेंगे | मामला अभी हाई कोर्ट में लंबित है, यदि केस के जांच अधिकारी इस मामले में हमसे कोई जानकारी मांगते हैं तो उन्हें उपलब्ध कराई जाएगी ये कहना है कमांडेंट 13वीं बटालियन एसएएफ शैलेंद्र चौहान का | ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान ने कहा कि मामले की जानकारी के बाद कार्यवाही आगे बढ़ाएंगे | फिलहाल एसटी प्रमाण पत्र नहीं बनाए जा रहे हैं, जांच के बाद ही फर्जीवाड़े के संबंध में कुछ कहा जा सकता है |
Home / न्यूज़ / फर्जी जाती प्रमाण पत्र से नौकरी करने का मामला उजागर, 200 से अधिक पुलिसकर्मियों के खिलाफ होगी कार्यवाही
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