भोपाल : 30/12/2024 : भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल गुजर जाने के बाद अब एक नई पहल भोपाल वासियों को जहरीली गैस से बचाने के लिए की जा रही है | दरअसल भोपाल के सीने से बोझ की तरह जमा 337 मीट्रिक टन कचरा हटाने की कवायद शुरू हो गई है | हाई कोर्ट के आदेश के बाद इसे पीथमपुर निस्तारण के लिए ले जाया जाएगा | शनिवार से इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं | कचरा भरते समय विशेष सावधानी बरती जा रही है | गौरतलब है कि हवा में यूनियन कार्बाइड गैस फैलने से 1984 में 5 हज़ार से अधिक मौते हुई थी | इसलिए यूका परसर में 3 जगहों पर एयर क्वालिटी की मॉनिटरिंग के लिए उपकरण लगाए हैं | अभी 337 टन जहरीला कचरा थैलियों में फैक्ट्री के अंदर रखा है | इसे खास जंबू बैग में पैक किया जा रहा है | ये एचडीपीई नॉन रिएक्टिव लाइनर के बने हैं | इनमें मटेरियल में कहीं रिएक्शन नहीं हो सकता | बैग में कचरा भरने के लिए 50 से अधिक कर्मचारी लगे हैं | ये सभी पीपीई किट पहने हैं, ताकि कैमिकल के संपर्क में आने पर शरीर को नुकसान न हो | 3 जनवरी से पहले कंटेनर पीथमपुर पहुंचाएंगे कंटेनर को भेजने से पहले वजन होगा, और पीथमपुर में पहुंचने के बाद भी वजन किया जाएगा | पीथमपुर में कचरे को रखने के लिए लकड़ी का प्लेटफार्म बनाया गया है, यह प्लेटफार्म जमीन से करीब 25 फीट ऊपर बना है | इस कचरे को कब जलाना है इसका फ़ैसला सीपीसीबी के वैज्ञानिकों की टीम करेगी | किस मौसम में कितने तापमान पर और कितनी मात्रा में जलाया जाए यह फ़ैसला लेने से पहले सैंपल टेस्टिंग भी होगी | कचरा जिस स्थान पर रखा है उस इलाके की धूल भी कचरे के साथ जाएगी यदि कहीं कचरा गिरा है तो उस जगह की मिट्टी को भी पीथमपुर ले जाया जाएगा | इस मिट्टी और धूल की भी जांच होगी |
