भोपाल(सैफुद्दीन सैफ़ी)
वैसे तो मध्यप्रदेश सरकारी और प्राइवेट हेल्थ सेक्टर के मामले में जितनी बदनामी झेल चुका है उसकी तो कोई लिमिट भी नही है। मगर अब कुछ ऐसे भी डॉक्टरों के कारनामें प्रकाश में आ रहे है जिसको जानकर ये लगता है, कि काश ये डॉक्टर न होकर कसाई बन जाते तो ठीक रहता है।
गौरतलब है कि राजधानी में आम तौर पर जिनकी प्रैक्टिस ज्यादा चलती है ऐसे प्राइवेट डॉक्टरों के यहाँ सुबह शाम मेडिकल रिप्रजेंटेटिव यानी एम आर की भीड़ भी आपको देखने को मिल जाती है। ये एम आर अमूमन हर हफ्ते या 15 दिन में अपनी दवा कंपनियों के प्रोडक्ट के बारे में डॉक्टरों से संपर्क करते है। और मरीजो को उनकी दवाएं लिखने को कहते है साथ ही कुछ प्रलोभन गिफ्ट वगैरा आदि भी ऑफर करते है जिसे एम आर की बोलचाल में एक्टिविटी बोला जाता है। जिसमे कुछ निजी डॉक्टर जिनकी प्रैक्टिस रोज 100 से 200 मरीज देखने की होती है, अमूमन उनके यहाँ दवा कंपनियों के एम आर सबसे ज्यादा विजिट करते है। इनकी कोशिश होती है, कि डॉक्टर हमारी कंपनी की दवाएं ज्यादा लिखे इसके लिए कई डॉक्टरों को ये एम आर एक्टिविटी के नाम पर केश या फुल साइज lcd, कार या एसी यहाँ तक विदेश यात्रा करवाने तक का ऑफर देते है। अगर एम आर के बताए टारगेट को डॉक्टर पूरा करते है तो, ये गोरखधंदा सालों से पूरे प्रदेश में ही नही पूरे देश मे खुले आम चल रहा है। जो डॉक्टरों को भृष्ट बना रहा है ।इसके साइड इफेक्ट मरीजो पर ये हो रहे है, कि जहाँ किसी मरीज को एक प्रकार की एंटीबायोटिक दवा लिखकर ठीक किया जा सकता है, वहाँ डॉक्टर एक साथ अनेको प्रकार की दवाएं लिखकर मरीजो की सेहत से खिलबाड़ कर अपनी जेबें भर रहे है। और इन डॉक्टरों की करतूतों पर पर्दा डालने के लिए शासन और प्रशासन स्तर पर जो जिम्मेदार बैठे है वो भी हाथ पर हाथ धरे बैठे है। क्यों की प्राइवेट अस्पताल संचालक इनके हाथों की हर महीने खुजली मिटाने को जो तैयार है।धन्य है हमारा समाज जो डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दे बैठा है। जागो मोहन सरकार जागो….