भोपाल ( कशिश मालवीय )मप्र परिवाहन विभाग में फैले भ्रष्टाचार दलालों की करतूतें और सरकार की तरफ से आंखे बंद होने के कारण आज प्रदेश के सड़कों पर भारी तादत में चोरी और गुमशुदा गाडियां दौड़ रही है और इस कारण से परिवाहन विभाग में पदस्थ अफसर बाबू दलाल सब भरपूर चांदी काट रहे हैं |
इसके लिए री – रजिस्ट्रेशन की तय प्रक्रिया को ही दरकिनार कर दिया गया | नतीजा यह हुआ कि ऐसी 756 गाड़ियां प्रदेश विभिन्न जिलों में बिना किसी रोक – टोक के रजिस्टर्ड कर दी गईं | इनकी आरसी , एनओसी से लेकर चेसिस नंबर तक सबकुछ फर्जी हैं |
हैरान वाली यह बात है कि इन 756 में से 656 गाड़ियां तो सिर्फ 5 मोबाइल नंबरों पर रजिस्टर्ड कराई गईं हैं | यह नहीं, इनमें भी 420 गाड़ियां एक ही मोबाइल नंबर 9000000000 पर रजिस्टर्ड हैं | ये पूरा रजिस्ट्रेशन अरुणाचल प्रदेश में दिखाया गया | वहीं से फर्जी आरसी बनाई गईं और एमपी में एनओसी के जरिए री – रजिस्ट्रेशन कर दिया गया | रिपोर्ट में दर्ज नंबरों पर कॉल किए तो एक को छोड़ बाकी सभी बंद मिले एक नंबर चालू मिला , वह भी असम के किसी स्टेशनरी शॉप मालिक का था | जांच में सामने आया कि अरुणाचल प्रदेश के आरटीओ ने ही गलत मोबाइल नंबरों से आरसी जारी की और बाद में एमपी के आरटीओ – डीटीओ ने इन्हें पास कर दिया |
ऑडिट टीम ने अपनी जांच में बताया है कि केंद्रीय स्तर पर जांच कराई जाए ताकि एमपी सहित अन्य राज्यों में भी इसी तरह की गड़बड़ी पकड़ी जा सकें | क्योंकि पिछले 2 साल का रिकॉर्ड खंगाला गया | इसमें 33 हजार 347 गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन में गड़बड़ी मिल चुकी है | जिनका अलग – अलग राज्यों में एनओसी लेकर रजिस्ट्रेशन कराया गया | एनआईसी को वाहन सिस्टम की सुरक्षा करनी चाहिए , ताकि गलत मोबाइल / इंजन / चेसिस डिटेल्स पर पंजीयन को रोका जा सके |
अरुणाचल प्रदेश आरटीओ ने जिन 296 गाड़ियों को एनओसी देकर एमपी में री – रजिस्टर्ड किया , उनकी असलियत हैरान करने वाली है | जांच में पता चला कि इन गाड़ियों के किसी भी दस्तावेज या फोटो वाहन पोर्टल पर अपलोड ही नहीं किए गए | सबसे बड़ा खुलासा 8 गाड़ियों में हुआ , ये गाड़ियां पहले लक्ष्यद्वीप में खरीदी और रजिस्टर्ड की गई फिर अरुणाचल प्रदेश में री – रजिस्टर्ड हुईं और उसके बाद एमपी लाई गईं | इनमें से 5 गाड़ियां उज्जैन और देवास , सतना और सिंगरौली में एक – एक गाड़ी रजिस्टर्ड की गईं | इसके अलावा और कई तरह के फर्जी कार्य परिवहन विभाग मे कई वर्षो से घपले घोटाले हो रहे है जिसकी अगर सरकार गंभीरता से जांच करवाएँ तो परिवहन विभाग के कई अफसर बाबुओ की काली करतूतों का भंडाफोड़ हो सकता है।