भोपाल ( कशिश मालवीय ) मध्यप्रदेश आबकारी विभाग के रिटायर्ड डिप्टी कमिश्नर विनोद रघुवंशी के खिलाफ कोर्ट ने षड्यंत्रपूर्वक धोकाधड़ी के मामले में चार साल की जेल और 5 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी | सजा सुनते ही करीब डेढ़ महीने पहले से फरार हुए डिप्टी कमिश्नर आबकारी को शाहपुरा पुलिस ने एम्स अस्पताल के बाहर से गिरफ्तार कर आरोपी को कोर्ट में पेश किया | कोर्ट ने आरोपी को जेल भेज दिया , यह धोखाधड़ी वर्ष 2002-03 के लिए शराब ठेकों की नीलामी से जुड़ी थी |
जानकारी के अनुसार 5 मार्च 2002 को अजय अरोरा ने अशोक ट्रेडर्स फार्म में 18 प्रतिशत हिस्सेदारी ली | 6 मार्च 2002 को फार्म ने आबकारी ठेकों की नीलामी में हिस्सा लिया और आबकारी विभाग ने फार्म को ठेका आवंटित कर शराब व्यापार का लाइसेंस दिया | लेकिन तत्कालीन जिला आबकारी आदिकारी विनोद रघुवंशी और ओपी शर्मा ने धोखाधड़ी कर 6 मार्च 2003 की नकली पार्टनरशिप डीड तैयार की और अजय अरोरा को फार्म की हिस्सेदारी से बाहर कर दिया | आरोपियों ने अन्य पार्टनर की फायदा पहुंचाने के लिए 6 से 11 मार्च 2003 के बीच बीच आबकारी कार्यलय के रिकॉर्ड में अरोरा का नाम हटाकर नकली डीड जमा कराई |
अरोरा ने धोखाधड़ी का पता चलते ही अपने 9 पार्टनरों के खिलाफ परिवाद दायर किया | अदालत ने 10 अप्रैल 2008 को मामला दर्ज करने का आदेश दिया | सीजेएम कोर्ट ने 29 अगस्त 2023 को विनोद रघुवंशी और ओपी शर्मा को सजा सुनाई | दोनों ने अपील की थी एडीजे दीपक बंसल की कोर्ट ने 7 जुलाई 2025 को रघुवंसी की साला तीन बढ़ाकर चार साल और ओपी शर्मा की सजा दो साल कर दी |