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हर साल गैस कांड कि बरसी पर लंबी लंबी बाते करने वाले मंत्री नेता जरा गैस राहत के अस्पतालो पर भी नजर डाले


भोपाल( सैफुद्दीन सैफी एवं कशिश मालवीय कि रिपोर्ट) भोपाल   के डीआईजी बंगला स्थित जवाहरलाल नेहरू गैस राहत अस्पताल  के बदहाली  का इससे ज्यादा क्या हाल होगा कि यहां एक्स – रे का काम डॉक्टर या टेक्नीशियन की जगह सिक्योरिटी गार्ड कर रहा है | यही नहीं  ये सिर्फ मेडिकल नियमों का उल्लंघन है , मरीजों की जिंदगी से भी खिलवाड़ है | शहर में 6 गैस राहत अस्पताल है 9 डिस्पेंसरी हैं | लापरवाही का आलम लगभग – लगभग सभी जगह एक सा है, और गेस राहत विभाग के अफसर ए सी कमरो मे आराम से बैठकर सरकारी वेतन पर मौज मार रहे है भले ही सिस्टम कि वाट लगी हो

जानकारी के अनुसार , अस्पताल में एक्स – रे टेक्नीशियन की कमी है | अब गार्ड ही मरीजों को कमरे में भेजता है , मशीन ऑन करता है और एक्स – रे करता है ,एक्स  रिपोर्टिंग का काम डॉक्टर के पास जाता है | एक्स – रे मशीन से निकलने वाली रेडिएशन की सही डोज तय करना जरूरी होता है | गलत सेटिंग मरीज के शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है | बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए गलत तरीके से किया गया एक्स – रे गंभीर खतरा बन सकता है | स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एक्स – रे कराने के लिए सरकार से मान्यता प्राप्त रेडियोग्राफर या टेक्नीशियन ही अधिक्रत होते हैं | किसी गार्ड या अन्य स्टाफ को यह काम करना साफ – साफ लापरवाही है | बता दें कि यहां एक रेडियोग्राफर भी पदस्थ है , लेकिन अवकाश पर है |

गैस राहत विभाग के मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी ( सीएमएचओ ) जिनके बारे मे कहा जाता है कि इन पर राज्य सरकार के किसी मंत्री कि क्र्पा है। और ये मनमाने काम करने के आदि है। इन्होंने  कार्यालय में मेल नर्स और सफाईकर्मी को मुख्य भंडार का काम सौंप दिया है , फर्मीसिस्ट मेघा पदस्थ हैं लेकिन ड्यूटि पर नहीं आतीं | यही नहीं जवाब शाखा में आया बैठी है , तो लेखा शाखा में दो साल से सेवानिव्रत्त अब्दुल रफीक को रोगी कल्याण समिति से पदस्थ कर रखा है | आलम यह है कि नर्स – फर्मीसिस्ट बाबूगिरी कर रहे हैं और वार्डबॉय दवाईयां बांट रहे हैं |

गैस त्रासदी के पीड़ितों को बेहतर इलाज व सुविधा देने के लिए बनाए अस्पताल और डिस्पेंसरी में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई हैं | दरअसल सच्चाई तो यह है कि यहां कर्मचारी अपने मूल काम को छोड़कर दूसरे विभागों का बोझ ढो रहे हैं | गैस त्रासदी के बाद सरकार ने इन अस्पतालों को पीड़ितों के लिए विशेष इलाज और समुचित सुविधाएं देने के उद्देश्य से शुरू किया था |

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी , गैस राहत , बैरसिया रोड: मेल नर्स ब्रजेश मीना और सफाईकर्मी दीपक शर्मा मुख्य भंडार का कार्य कर रहे हैं | फार्मीसिस्ट मेघा नाम मात्र पदस्थ हैं वास्तविक ज़िम्मेदारी पूरी नहीं निभा रहीं |

शाकिर अली खान चिकित्सालय: यहां भूरे लाल वार्ड बॉय दवाई वितरण कर रहे हैं | महिला लैब टेक्नीशियन वर्षों से ईसीजी देख रही हैं | इलेक्ट्रीशियन छोटे राम अहिरवार लैब रिपोर्ट बांट रहे हैं | डार्क रुम असिस्टेंट बीपी नाप रहे हैं |

बैरसिया रोड अस्पताल: यहां महिला लैब टेक्नीशियन ईसीजी कर रही हैं | इलेक्ट्रीशियन छोटे राम अहिरवार लैब रिपोर्ट बांट रहे हैं | डार्करुम असिस्टेंट बीपी नाप रहें हैं , दूसरा असिस्टेंट ड्रेसिंग और आयुष्मान कार्ड बना रहा है |

जहांगीराबाद प्ल्मोनरी मेडिसिन सेंटर : यहां कम्पाउंडर सत्येंद्र सिंह सिर्फ बीपी नाप रहे हैं | रेडियोग्राफर शिवदीप मिश्रा कैंसर और किडनी मरीजों का इलाज देखने के साथ – साथ  रोगी कल्याण समिति की फाइलों का कार्य संभाल रहे हैं |

शाहजहांनाबाद मास्टर लाल सिंह गैस राहत अस्पताल है: यहां पिछले तीन साल से स्त्री रोग से संबंधित विशेषज्ञ नियुक्त है , तीन सालों में अब तक न तो किसी महिला को डिलेवरी के लिए  भर्ती किया है और न कोई डिलेवरी कि गई है | यह जानकारी अधिकारियों को पता है , लेकिन कोई कार्रवाई नहीं कि जाती है | वहीं वार्ड बॉय आरिफ खान 30 साल से  यहां बाबूगिरी कर रहे हैं | धनपत पटेल दीपक कटारिया , शेख परवेश और विजेंद्र परमार दवाई बांटने , ड्रेसिंग में लगे हैं |

कमला नेहरू सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल: यहां नर्स रश्मि स्थापना शाखा संभाल रही हैं | वार्डबॉय हर्ष चौरसिया और विकास खंडारे लिपिक सहायक बन गए हैं  ड्रेसर जितेंद्र खत्री मुख्य भंडार चला रहे हैं | पैथोलॉजी में इमरजेंसी ड्यूटि तय नहीं |

डिस्पेंसरी: पुतलीघर , करोंद और कबाड़खाना की डिस्पेंसरी में वार्डबॉय और लैब अटेंडेंर दवा बांट रहे हैं | करोंद में राजकुमार वार्डबॉय और कबाड़खाना में नितिन मरमट लैब अटेंडेंर को जिम्मेदारी दी गई है |

कुल मिला कर गैस  राहत के अस्पताल इलाज़ और सेवा देने के मामले  मजाक बनकर रह गए है। क्या मज़ाक है, सिस्टम का हर साल जब गैस कांड कि बरसी आती है, तो मुख्यमंत्री से लेकर भोपाल का हर नेता गैस पीड़ितो के हक के  लिए लंबी लंबी बाते करते है मगर इलाज के नाम पर गैस पीड़ितो को क्या मिल रहा है ये देखने के लिए इन्होने आंखे मूँद रखी है।

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