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सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस हिरासत में हिंसा और मौतों को लेकर कहा कि यह व्यवस्था पर बड़ा कलंक है


नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस हिरासत में हिंसा और मौतों को लेकर कहा कि यह व्यवस्था पर बड़ा कलंक है , देश अब इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करेगा | जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों की स्थिति पर लिए गए स्वत: संज्ञान पर सुनवाई कर रही थी | इस दौरान कोर्ट ने कहा कि राजस्थान में 2025 के पहले 8 महीनों में हिरासत में 11 मौतें रिपोर्ट हुई हैं | इनमें से 7 मामले उदयपुर डिवीजन में थे , बेंच ने इस पर चिंता जताते हुए कहा – आप कस्टडी में मौतें कैसे होने दे सकते हैं ? यह स्वीकार्य नहीं है |

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि वह अब तक अपना हलफनामा क्यों नहीं दाखिल कर सकी | जस्टिस नाथ ने सवाल किया – क्या केंद्र सरकार इस कोर्ट को हल्के में ले रही है ? इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कस्टोडियल डेथ किसी भी रूप में बचाव योग्य नहीं है और केंद्र हलफनामा जल्द दाखिल करेगा | बेंच ने सभी शेष राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 3 हफ्ते का अंतिम समय दिया | साथ ही चेतावनी भी दी समयसीमा के भीतर अनुपालन न हुआ तो संबंधित राज्यों के गृह विभाग के प्रमुख सचिव और केंद्रीय एजेंसियों के मामले में उनके डायरेक्टर , अदालत में हाजिर होने होंगे , मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी |

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