भोपाल ( कशिश मालवीय ) राजधानी के हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्र – छात्राओं को वाणिज्यिक शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क ( एनएसक्यूएफ ) विशेषज्ञ कोर्स शुरू किए गए हैं | इन पाठ्यक्रमों का उद्देश्य विद्दार्थियों को कौशल , ज्ञान और कार्य – आधारिता प्रशिक्षण देना है , ताकि स्टूडेंटस को रोजगार के तमाम अवसर मिल सकें | लेकिन स्कूलों में नया सत्र शुरू हुए 5 महीने बीत चुके हैं और अभी तक वाणिज्यिक शिक्षा से जुड़ी पुस्तकें ही स्कूलों को नहीं मिल सकी हैं | मजबूरन बच्चों को पुस्तकों की फोटोकॉपी से पढ़ाई करनी पड़ रही है | शिक्षा विभाग के अफसरों तक तर्क है कि यह पुस्तकें एनसीईआरटी पब्लिश करता है | इनकों ट्रांसलेट कर पब्लिश नहीं कर सकते , इसलिए बच्चों को अभी फोटोकॉपी दे रहे हैं |
राज्य सरकार ने प्रदेश के 80 प्रतिशत स्कूलों में वाणिज्यिक शिक्षा पाठ्यक्रम तो शुरू कर दिया है | लेकिन छात्रों के लिए पाठ्यपुस्तकें समय पर उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं | पिछले सत्र में लगभग 6 महीने बाद पुस्तकें उपलब्ध कराई जा सकी थीं | इस बार भी 5 महीने बीत गए हैं और बच्चे पुस्तकों के लिए परेशान हैं | शिक्षा विभाग ने इस समस्या से निपटने के लिए स्कूलों को पुस्तकों की फोटोकॉपी बांटने के आदेश दिए गए हैं वहीं , लोक शिक्षण संचालनालय के सहायक संचालक अभिनव आर्य ने बताया कि संचालनालय की ओर से फोटोकॉपी के लिए पर्याप्त बजट स्कूलों को दिया गया है | बजट कितना है यह बता पाना मुश्किल है | प्रत्येक विद्दार्थी के लिए सभी पुस्तकों की फोटोकॉपी मिल जाए इसका प्रयास किया जा रहा है|
2013 मे प्रदेश के 50 स्कूलों मे वाणिज्यिक शिक्षा से जुड़े कोर्स की शुरुआत हुई थी | प्रदेश में करीब 4500 हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल हैं | इनमें से 3367 स्कूलों में यह कोर्स शुरू किया जा चुका है | वहीं , भोपाल में 9वीं से 12वीं तक के करीब 135 शासकीय स्कूल हैं , इनमें से 52 स्कूलों में यह कोर्स शुरू हो चुके हैं | प्रदेश में 17 ट्रेडों और 42 जॉबरोल में वाणिज्यिक शिक्षा पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं | इन पाठ्यक्रमों का उद्देश्य छात्रों को विभिन्न व्यवसायों के लिए तैयार करना है , ताकि वे रोजगार प्राप्त कर सकें | पाठ्यक्रम में डेटा एंट्री ऑपरेटर , असिस्टेंट , ब्यूटी थेरेपिस्ट , रिटेल स्टोर ऑपरेशन असिस्टेंट , सोलर पैनल टेक्नीशियन जैसे कई क्षेत्र शामिल हैं , जो छात्रों को विभिन्न करियर विकल्पों के लिए तैयार करते हैं |
शिक्षा विभाग ने स्कूलों को आदेश जारी किया है कि वाणिज्यिक पाठ्यक्रम की पुस्तकों को विमर्श पोर्टल / ईमेल डाउनलोड करे और उनकी फोटोकॉपी की स्पाइरल वाइंडिंग करवाकर विद्दार्थियों को नि:शुल्क बांटें | साथ ही कहा कि जिन स्कूलों में ट्रेड / जॉबरोल विशेष की पाठ्यपुस्तकें मिलने में देरी हो रही है , वहां प्रशिक्षण से रोजगार कौशल का अध्यापन कार्य कराया जाए | इस आदेश से साफ होता है कि विभाग ने सत्र शुरू होने के पहले इस बात को नहीं समझा कि विद्दार्थियों की संख्या कितनी है और कितनी पुस्तकें छपनी होंगी |
स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव संजय गोयल से जब इस मामले पर सवाल किए तो उन्होंने डीपीआई में बात करने के लिए कहा दिया | डीपीआई आयुक्त शिल्पा गुप्ता से कई कॉनटेक्ट किए उन्होंने भी मीटिंग का बहाना देते हुए बचने की कोशिश कर कोई जवाब नहीं दिया | अपर परियोजना संचालक मनीष सेठीया ने भी इस मामले में कोई जब देना उचित नहीं समझा | इससे साफ है कि शिक्षा विभाग के अफसर मामले को लेकर बचने की कोशिश कर रहे है , सवाल का जवाब कोई अफसर नहीं देना चाहते हैं | ऐसे मे सर्व शिक्षा अभियान और स्कूल चले हम जैसे राज्य सरकार के नारे तब मज़ाक लाग्ने लगते है जब वो छात्रों को कितबे तक मुहैया करने मेँ नाकाम रहें।