अमां मियाँ सुनो तो ज़रा,
भोपाल की सड़को का हाल बड़ा!
बरसात आई, गड्डे खिल गए,
अरे खाँ, रोड तो जैसे तालाब मिल गए!
90 डिग्री का पुल बना कमाल,
आरिया जारिया बोले – “ये है एडवांस जमाल!”
गाड़ी मोड़ो तो सीधा चाँद पे पहुँचो,
मियाँ, इंजीनियरिंग का नया चमत्कार समझो।
नगर निगम वाले कहते – “सब बढ़िया”,
अमां खां, इनको गड्डा भी मखमल दिख रिया।
किसी का टायर फंसा, किसी का बैलेंस गया,
भोपाली बोले – “भाई, ये रोड है या समुंदर भिया?”
बरसात के बाद सड़काें पे तैरती मछलियाँ,
गड्डों में डुबकी लगाते बच्चे और अब्बलियाँ।
अरे मियाँ, ट्रैफिक पुलिस भी परेशान,
“कहाँ खड़ा होऊँ खाँ, यहाँ तो नाव चाहिए जान!”
भोपालियाँ मुस्काए, बोले ठसक में,
“ये है मियाँ, भोपाल की असली झलक में।
गड्ढा अपना, पुल अपना,
अमां खां, इंजीनियरिंग भोपाली का रोड पर तैराकी क्लास देने का नया तरीका अपना!”
—लेखक
पत्रकार ममता गनवानी, भोपाल