भोपाल ( कशिश मालवीय ) राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के कई इलाकों में प्रदूषण अत्यधिक है दिल्ली सरकार ने आदेश जारी कर पेट्रोल पंप संचालकों से बिना वैध पीयूसी के वाहनों को पेट्रोल देने पर प्रतिबंध लगा दिया है वहीं भोपाल में अब बी बिना पीयूसी के वाहन खुलेआम सड़कों पर दौड़ रहे हैं स्थिति इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि 22 से 24 नवंबर के बीच भोपाल को एक्यूआई 300 पहुंच गया इसके बाद प्रदूषण नियंत्रण के लिए संभागायुक्त संजीव कुमार सिंह ने 5 दिसंबर को बैठक में निर्देश दिए थे कि 16 दिसंबर से पीयूसी जांच अभियान चलाया जाए लेकिन अब तक ट्रैफिक पुलिस ने सिर्फ एक ही चालान किया है न हेलमेट की जांच हो रही है और न ही हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट की |
एमपी नगर चौराहा , ज्योति टॉकीज से चेतक ब्रिज प्रभात चौराहा और अप्सरा टॉकीज जैसे प्रमुख इलाकों में ट्रैफिक पुलिस की गैर मौजूदगी साफ नजर आ रही है संवाददाता ने देखा कि इन व्यस्त चौराहों पर न हेलमेट न प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र ( पीयूसी ) और न ही हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट ( एचएसआरपी ) को लेकर कोई कार्रवाई हो रही है जबकि यातायात नियमों के सख्त पालन के निर्देश पहले ही जारी किए जा चुके हैं |
भोपाल शहर में यातायात व्यवस्था दिनों दिन बिगड़ती जा रही है दोपहिया वाहन चालकों में हेलमेट न पहनने की लापरवाही खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है नियमों के अनुसार चालक के साथ पीछे बैठने वाले व्यक्ति के लिए भी हेलमेट अनिवार्य है लेकिन हकीकत में नजारा अलग देखने को मिला
थाना यातायात भोपाल द्वारा वर्ष 2025 में की गई चालानी कार्रवाई के आंकड़े भी स्थिति की गंभीरता को उजागर करते हैं प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र को लेकर कार्रवाई बेहद नगण्य है पूरे चार महीनों में केवल 35 चालान यह साबित करते हैं कि पीयूसी जांच लगभग ठप पड़ी हुई है |
बिना नंबर प्लेट और बिना एचएसआरपी वाले वाहन भी सड़कों पर खुलेआम घूम रहे हैं ऐसे वाहन न सिर्फ यातायात नियमों का उल्लंघन है बल्कि अपराध के लिहाज से भी गंभीर खतरा पैदा करते हैं क्योंकि इनकी पहचान करना मुश्किल होता है इसके बावजूद चौराहों पर न तो नियमित जांच हो रही है और न ही सख्त कार्रवाई |
प्रशासन की दोहरी नीति पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं दिल्ली में बीएस 6 मानक से नीचे के वाहनों पर प्रतिबंध लगाया जा चुके है जबकि भोपाल में धुआं उगलने वाले पुराने वाहन अब भी सड़कों पर दौड़ रहे हैं शहरवासियों का कहना है कि जब तक ट्रैफिक पुलिस की नियमित तैनाती नहीं होगी तब तक संभाग आयुक्त के आदेश सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहेंगे पुलिस की गैरज़िम्मेदारी की छवि बन चुकी है पूरी व्यवस्था में ही घुन लग चुका है
Lok Jung News Online News Portal