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जिस पानी को पीकर लोगों में स्वास्थ्य रहने का अंधविश्वास था उसी पानी ने 121 लोगों की जिंदगी छीन ली लेकिन कार्यवाही न बाबा पर हुई न ही प्रशासन पर |


हाथरस : 04/07/2024 : हाथरस सत्संग में नारायण साकार हरि बाबा (सूरज जाटव) के आयोजन में मची भगदड़ ने सैंकड़ों लोगों को मौत के मुंह में पहुंचा दिया है | कितनी जिंदगियां खत्म हो गईं, कितने बच्चे अनाथ हो गए, लेकिन इनकी मौत का जिम्मेदार कौन है इसका जवाब अब तक नहीं मिल पाया है | जिस बाबा के सत्संग में मौतें हुईं उसकी गिरफ्तारी तो दूर की बात है, एफआईआर में उसका नाम तक नहीं है | बाबा के दर्शन करने पहुंचे लोगों को क्या मालूम था उनकी आस्था उनकी मौत का कारण बनेगी | लोगों में तो इतना अंधविश्वास भरा है कि उन्हें लगता है सत्संग में बंटने वाले पानी से लोग स्वास्थ्य और निरोगी रहेंगे | अनुयायियों का कहना है कि जिस किसी ने भी इस पानी के छींटे अपने शरीर पर डलवाए या इस पानी को पी लिया तो तो उनकी बीमारियां दूर हो जाएंगी और उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा | आश्रम के ही सेवादार का कहना है कि एटा के बहादुर नगर गाँव में बाबा का पैतृक आवास अब आश्रम है, जिसमें दरबार लगता है | इसी आश्रम के बाहर लगे एक हैंडपंप का पानी पीने के लिए ऐसे अनुयायियों की लंबी कतारें लगती हैं | हाथरस के नारायण सिंह पत्नी आशा देवी को अलीगढ़ में डॉक्टर को दिखाने लाए थे | दवाई लेने के बाद पत्नी ने जिद की, कि बाबा की चरण रज माथे पर लगाने से ठीक हो जाऊंगी | नारायण उसे सत्संग में ले आए भीड़ अधिक होने के कारण खुद हाइवे के बीच डिवाइडर पर बैठ गए, और आशा मंच के पीछे जाकर चरण रज लगाते ही लौटने की बात कहकर गईं, लेकिन काफी तलाश के बाद वह मृत अवस्था में मिली | हाइवे पर जैसे ही कानपुर की तरफ बाबा का काफिला चढ़ा तो यहां मौत का बड़ा तांडव पीछे छोड़ गया | मंच से जैसे ही बाबा कार में बैठे तो महिलाओं, और किशोरियों में मिट्टी उठाकर माथे पर मलने की होड़ लग गई | वाटर कैनर से इन पर पानी की बौछारें मारी जिससे कच्चा रास्ता होने के कारण कीचड़ मच गई और लोगों की भीड़ होने से सुरक्षाकर्मियों ने लोगों को धक्का मारा जिससे फिसलकर लोग कच्चे नाले में गिरने लगे कई लोगों के दबने से तो कई का दम घुटने से मौत हुई | और घटनास्थल से बाबा भाग गया उसके बाद वह सामने नहीं आया अब इन मासूमों की मौत का जिम्मेदार किसे ठहराया जाए | एक सवाल यह भी उठता है कि जब 17 दिनों से इस आयोजन की तैयारियां चल रहीं थीं तो फिर प्रशासन ने इसके लिए कोई गाइडलाइन क्यों नहीं बनाई  ? 50 हज़ार लोगों की मंजूरी देकर ढाई लाख से अधिक भीड़ को अनदेखा करने वाले प्रशासन पर अब तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गई ?  जिन सेवादारों ने धक्का मुक्की करके भगदड़ के हालात पैदा किए उनकी भी गिरफ्तारी अब तक क्यों नहीं हुई ?

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