भोपाल : 03/01/2025 : प्रदेश सरकर औद्दोगिक विकास को नई ऊंचाई पर ले जाने की बात कर रही है | इस साल 40 से अधिक बड़े आयोजन किए जिनमें अलग-अलग शहरों में हुई रीज़नल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव शामिल हैं | इसके अलावा अगले साल यानी 2025 को औद्दोगिक वर्ष घोषित किया है | यानी सालभर उद्दोगों से जुड़े कार्यक्रम और गतिविधियां होंगी | फ़रवरी में ही भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) होगी, इन सबको करवाने का जिम्मा मप्र इंडस्ट्रियल कॉर्पोरेशन (एमपी आईडीसी) पर है | इसके लिए बड़ा अमला चाहिए, लेकिन आईडीसी में आधा स्टाफ भी नहीं है | स्टाफ कम होने का प्रभाव आईडीसी के कामों पर साफ नजर आ रहा है | क्योंकि, निवेश आकर्षित करने की तमाम कोशिशों के बाद भी खाली ज़मीनों का पूरी तरह से विकास नहीं हो पा रहा है | और नए औद्दोगिक क्षेत्रों की राह भी नहीं खुल पा रही है | प्रदेश में आईडीसी की 15 हज़ार हेक्टेयर से अधिक जमीन खाली पड़ी है | इनमें सागर रीज़न में सबसे अधिक सात हज़ार हेक्टेयर से अधिक और इसके बाद इंदौर रीज़न में करीब ढाई हज़ार हेक्टेयर जमीन खाली या अविकसित स्थिति में है | यहाँ लैंड बैंक खाली है, यानी निवेशक आना चाहें तो उनके लिए प्लाट नहीं हैं | जबकि यहां जमीन भरपूर है, लेकिन विकास की दिशा में काम की रफ्तार सुस्त है | हालांकि, एमपी आईडीसी के पास पूरा स्टाफ हो तो विकास की गति में तेज़ी आ सकती है | इंदौर रीज़न के तहत 33 क्षेत्रों में आईडीसी के पास करीब 2900 हेक्टेयर जमीन है, इनमें से 2412 हेक्टेयर जमीन अब भी खाली पड़ी है |
