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मप्र में मोबाइल टावर लगाने के लिए कोई नियम नहीं टावर से होने वाले रेडिएशन के दुष्प्रभाव 100 मीटर के दायरे में रहने वालों पर सबसे अधिक |


भोपाल : 30/01/2025 : लोगों को नेटवर्क उपलब्ध कराने के लिए पूरे प्रदेश में 13 हज़ार 596 मोबाइल टावर लगे हुए हैं, निजी और सरकारी मिलाकर सबसे अधिक टावर इंदौर में लगे हैं दूसरे नंबर पर जबलपुर और भोपाल का नंबर तीसरा है | इंदौर में मोबाइल टावर की संख्या लगातार बढ़ रही है जबकि प्रदेश सरकार के पास टावर से होने वाले रेडिएशन को लेकर कोई स्टडी नहीं है | पिछले महीने विधानसभा में मोबाइल टावर से होने वाले रेडिएशन के संबंध में सवाल उठा था कि इंदौर में इसका दुष्प्रभाव हो रहा है क्या ? दरअसल, टावर से होने वाले रेडिएशन से स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, इसे लेकर अभी कोई स्पेसिफिक वैज्ञानिक रिसर्च तो नहीं है लेकिन अत्यधिक रेडिएशन से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव जैसे नींद की कमी, सिर दर्द, तनाव और यहाँ तक कि कुछ मामलों में कैंसर का खतरा भी बढ़ता है | टावर से निकलने वाले रेडिएशन से बच्चों व बुजुर्गों की सेहत पर नकारात्मक असर होता है | इसका सबसे अधिक प्रभाव 100 मीटर के दायरे में रहने वाले लोगों पर पड़ता है | इसलिए टावरों को स्कूल हॉस्पिटल के आसपास लगाने की रोक है लेकिन ये नियम मप्र में नहीं हैं यहाँ तो रिहायशी इलाकों से लेकर स्कूल अस्पतालों के आसपास तक मोबाइल टावर लग चुके हैं | जबकि राजस्थान में तो इससे संबंधित नियम 12 साल पहले ही लागू कर दिए थे |  राजस्थान में टावर लगाने के लिए कम से कम 900 वर्ग फीट का प्लाट होना जरूरी है आसपास की सड़क की चौड़ाई 30 फिट होना जरूरी है | मप्र सरकार ने टावरों को लगाने के लिए बड़ी लापरवाही बरती है टावर से होने वाले रेडिएशन का परीक्षण अब तक नहीं किया गया है सरकार की तरफ से इस पर कोई स्पष्ट नीति भी नहीं है |

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