भोपाल ( कशिश मालवीय )अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स ) भोपाल इस समय इलाज के लिए जरूरी सर्जिकल उपकरणों की कमी से जूझ रहा है | हालात ये हैं कि ऑपरेशन थियेटर में भर्ती मरीज के परिजनों को डॉक्टरों के लिए ग्ल्व्स , मास्क , कैप जैसे समान खरीदकर लाने पड़ रहे हैं | नियमानुसार ओटी में पीपीई किट अस्पताल प्रबंधन ही उपलब्ध कराता है | लेकिन एम्स में पीपीई किट किट की काफी समय से कमी है | सूत्रों की मानें तो डॉ महीने से ऑपरेशन के लिए आने वाले मरीजों से ही ये सामान मंगाए जा रहे हैं |
दरअसल , एम्स भोपाल में डिप्टी डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन का पद खाली है | डीडीए कर्नल अजीत कुमार के जाने के बाद इस पद का प्रभार रायपुर एम्स के डीडीए धर्मवीर सिंह चौहान को दिया गया है | ऐसे में दो माह से कोई भी फाइल क्लियर नहीं हुई है | इसके कारण भोपाल एम्स को जरूरी सर्जिकल सामान के लिए जूझना पड़ रहा है | दो महीने से एम्स भोपाल के सभी विभाग ओटी सहित अन्य इलाज की सामग्री की मांग के लिए डीडीए को ई-मेल कर रहे हैं | लेकिन आज तक डीडीए ने किसी भी मेल का जवाब नहीं दिया | लोकजंग टीम ने जब एम्स में पड़ताल की तो देखा कि यहां ओटी जैसे हाई रिस्क एरिया , यहां बायो मेडिकल वेस्ट के लिए डस्टबिन में उपयोग होने वाली पॉलीथिन तक नहीं है | हालात यह है कि खून से सने कॉटन और बैंडेज डस्टबिन में खोले पड़े हैं | ओटी के बाहर रखे डस्टबिन से कचरा तक गिरता दिखा | वहीं एम्स के ऐसे हालात के बारे में जब अधिकारियों से सवाल किए गए तो अफसर जवाब देने से बचते नजर आए |
इधर , डीडीए धर्मवीर सिंह चौहान 23 जुलाई से छुट्टी पर हैं | ऐसे में भोपाल एम्स के डीडीए का प्रभार डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट मनीष दीक्षित को दिया गया है | दीक्षित ने बताया कि फाइलों को क्लीयर किया जा रहा है कितनी फाइल पेंडिंग हैं इसकी जानकारी नहीं हैं | अटेंडर गायब , स्ट्रेचर पर मरीज को ओटी तक ले जा रहे परिजन एम्स पहुंची लोकजंग टीम को सर्जरी के बाद एक मरीज को जनरल वार्ड में शिफ्ट करने के लिए उसके परिजन स्ट्रेचर पर ले जाते दिखे | यह काम वार्ड ब्वाय और अटेंडर का होता है , लेकिन यहां कोई नहीं था | मेडिकल वेस्ट के डस्टबिन फुल पॉलीथिन की भी कमी है | किसी भी अस्पताल में ये सभी समान होना जरूरी है , लेकिन यहां तो डस्टबिन भी करे से भरे दिखे |
संसाधनों की कमी पर जवाब देने से बच रहे एम्स के अफसर जीएलवीएस , केप , मास्क की कमी के सवाल पर पीआरओ बबीता रघुवंशी ने कहा कि अगर मरीजों से ग्लव्स और अन्य समान बाहर से मंगायाजा रहा है , तो उन्हें इसकी जानकारी नहीं है | संबधित अधिकारियों से पूछा जाएगा | वहीं , फार्मेसी इंचार्ज डॉ. अशोक कुआर ने कहा कि इस मामले में मेडिकल सुपरिटेंडेंट ही जवाब दे सकते हैं | गौरतलब है कि गत एक वर्ष से भोपाल एम्स लगातार किसी न किसी घपले घोटाले फर्जी नियुक्तियों के मामले मेँ लगातार अखवारों कि सुर्खिया बटोर रहा है।
एम्स कि ज़िम्मेदारी लिए बैठे अधिकारियों से किसी भी मामले मे सवाल पुछो तो एक ही जवाब मिलता है दिखवाते है जांच करवाते है।