भोपाल ( कशिश मालवीय ) राजधानी विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद पर बड़ा कानूनी शिकंजा कसने वाला है | हाईकोर्ट ने सोमवार को मसूद और उनके सहयोग अफसरों के खिलाफ तीन दिन के भीतर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए | जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप मित्तल की खंडपीठ ने एडीजी स्तर के अधिकारी की अगुवाई में एसआईटी गठित कर तीन माह के भीतर रिपोर्ट मांगी है | कोर्ट ने कहा कि उन अफसरों पर भी कार्रवाई होगी , जिनने इस फर्जीवाड़े को संभव बनाया, मामला मसूद के कॉलेज इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज की मान्यता से जुड़ा है |
आरोप है कि मान्यता बनी रहेगी , नए प्रवेश पर रोक हाईकोर्ट ने छात्रों के भविष्य को देखते हुए कॉलेज की मान्यता तत्काल निरस्त करने से इनकार कर दिया | अदालत ने कहा कि इसमें पढ़ रहे विद्दर्थियों का कोई दोष नहीं है , हालांकि यह भी साफ किया कि अब कॉलेज में नए प्रवेश नहीं होंगे |
कॉलेज कि मान्यता फर्जी सेल डीड के आधार पर मिली थी | हाईकोर्ट ने कहा – हैरानी है कि 20 वर्षों तक धोखाधड़ी का पर्दाफाश नहीं हो सका |
एडीजी भोपाल के नेत्रत्व में एसआईटी बन… हाईकोर्ट ने डीजीपी कैलाश मकवाना को एसआईटी गठित करने को कहा था |कोर्ट में जानकारी दी गई कि एसआईटी की कमान एडीजी संजीव शर्मा संभालेंगे |
कॉलेज की मान्यता के लिए पहली बार 2 अगस्त 1999 को जो सेल डीड प्रस्तुत की गई , वह फर्जी थी | इसमें खसरा नंबर 26 की 2.83 एकड़ जमीन का मालिकाना हक मसूद ने खुद के नाम पर दिखाया , जबकि जमीन उनकी पत्नी के नाम पर दर्ज थी | एक फर्जी पॉवर ऑफ अटॉर्नी भी तैयार की गई , जिसे 20 नवंबर 1990 का बताया गया |
मसूद ने बाद में एक और दस्तावेज पेश किया इसमे दिखाया गया कि उन्होंने 7 नवंबर 1999 को भोपाल रियासत की राबिया सुल्तान से जमीन खरीदी थी , राजस्व रिकॉर्ड में जमीन साजिदा सुल्तान के नाम दर्ज थी मगर 2004 में भी जांच नहीं हुई | 2024 में रजिस्ट्री कार्यालय की जांच मे खुलासा हुआ कि संपत्ति मसूद के नाम पर थी ही नहीं | फिर 9 जून 2025 को उच्च शिक्षा विभाग ने इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी |
जमीन का डायवर्सन भी संदिग्ध परिस्थितियों में किया गया | सोसाइटी ने सेल डीड बनने से पहले ही डायवर्सन के लिए आवेदन प्रस्तुत कर दिया | 4 अक्तूबर 1999 को आदेश जारी कर दिया गया , जबकि दस्तावेजों में जमीन खरीदने की तारीख 7 अक्तूबर 1999 बताई गई |