भोपाल ( कशिश मालवीय ) मध्यप्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के बाहर सरेआम सरकारी डॉक्टर्स के मेडिकल स्टोर और लैब चल रही हैं | स्वास्थ्य केन्द्रों पर दवा और जांच की सुविधा मुक्त है , लेकिन यहां तैनात मेडिकल स्टोर पर जांचे भी प्राइवेट लैब में करवा हैं |
स्वास्थ्य केन्द्र में आए मरीजों से चर्चा की तो पता चला अधिकतर स्वास्थ्य केन्द्रों के चिकित्सक मरीजों को दवाई और जांचों के लिए बाहर भेजते है | रातीबड़ के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में मरीज ने बुखार की दवा लिखवाई तो डॉक्टर ने छोटे से कागज पर दवाई का नाम लिखते हुए बोला – यह गली के बाहर प्रज्ञा मेडिकल पर मिल जाएगी | यानी सरकारी दवाइयों का जिक्र तक नहीं | वहीं कोटरा सुलतानाबाद स्वास्थ्य केंद्र में जब ईसीजी की बात आई तो डॉक्टर ने मरीज को सरकारी लैब की जगह सीधे पास की निजी लैब का पता थमा दिया | स्टिंग में सामने आया कि कई डॉक्टरों की सांठगांठ से इन स्वास्थ्य केन्द्रों के बाहर एक मेडिकल और लैब के बोर्ड और पंपलेट तक चिपकाए गए हैं | भोपाल में ऐसे 11 स्वास्थ्य केंद्र हैं , जबकि पूरे प्रदेश में मिलाकर 1,768 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद मौजूद हैं | सवाल यह है कि जब सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर मुक्त दवाइयां और जांच की सुविधा दे रही है तो फिर मरीजों को इलाज के लिए बाहर क्यों भेजा जा रहा है ?
नियामनुसार , प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर जरूरी जांचें होती हैं | अगर किसी केंद्र पर ईसीपी , शुगर और अन्य छोटी जांचे नहीं हो रही हैं तो उसके लिए डॉक्टर को निर्देश हैं कि पास के किसी सरकारी अस्पताल या अन्य सरकारी डिस्पेंसरी में मरीज को जांच कराने भेज सकते हैं | लेकिन राजधानी में स्वास्थ्य केन्द्रों पर बैठे डॉक्टर निजी लैब पर ही भेजते हैं |
डॉ. मनीष शर्मा , सीएमएचओ बोले – हर केंद्र पर जांच हो रही हैं | स्वास्थ्य विभाग हब एंड स्कोप मॉडल पर काम कर रहा है | इसके लिए सैंपल लेकर दूसरी लैब पर भेजा जाता है और मरीज को वॉट्सएप पर रिपोर्ट मिल जाती है | दवाइयां और जांचों के लिए लोगों की निजी मेडिकल और लैब में भेजा है तो में जांच कर कार्रवाई करूंगा |