भोपाल : 26/08/2024 :
आर टी ओ जितेंद्र शर्मा ने पदभार संभाल ते ही आर टी ओ आफिस मे दलालो के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया था मगर लगता है
इसका कोई असर देखने को नही मिल रहा है। आर टी ओ कार्यालय मे अभी भी दलालो की मनमर्जी चल रही है, आर टी ओ जितेंद्र शर्मा
के दलालो से सख्ती के दावो को आम जनता “थोथा चना बाजे घना” की संज्ञा दे रहे है
गौर तलब है कि पूर्व आर टी ओ संजय तिवारी ने भी दलालो को लेकर अपनी आमद के साथ ही सख्ती बरतने के दावे किए थे बाद मे सारे काम
आर टी ओ मे, तिवारी के मुँह लगे दलाल ही करते थे और तिवारी जी मनमर्जी से कार्यालय आते थे॰ अब तो लोग यहाँ तक दाबी जुबान से कहने
लग गए है कि वर्तमान आर टी ओ का दलालो के प्रति दिखावटी गुस्सा नई सेटिंग जमाने का प्रयास तो नही ?
आरटीओ ऑफिस में दलालों की बढ़ती सक्रियता से लोग परेशान हैं, दफ्तर के बाहर बैठे दलाल लोगों से सौदेबाजी करते हैं, और उनके साथी दलाल अंदर जाकर फाइलें लिए बेखौफ घूमते हैं | आरटीओ में चाहे गाड़ी ट्रांसफर करवाना हो या लायसेंस बनवाना हो ये दलाल लोगों से कहते हैं कि अगर हमसे काम कराओगे तो दो से तीन दिन लगेंगे वरना ऐसे तो सालों तक काम अटका रहेगा | आरटीओ में दलालों के साथ अंदर बाबुओं की मौज मस्ती चलती रहती है और बाहर बैठे लोग इंतज़ार करते रहते हैं कि कब हमारा काम होगा | यहाँ काउंटर के अंदर दलाल नजर आते हैं, इनमें से अधिकतर कुर्सी पर बैठे बाबुओं को घेरकर अपना काम कराने के लिए खड़े रहते हैं और जब तक इनका काम नहीं हो जाता तब तक ये वहां से नहीं टलते | जबकि आरटीओ का पद संभालते ही जितेंद्र शर्मा ने दावा किया था कि भोपाल के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय से दलालों की मनमानी खत्म कर दूंगा लेकिन डेढ़ महीना गुजर जाने के बाद भी आरटीओ साहब के दावे के मुताबिक दफ्तर में कोई बदलाव नजर नहीं आया | ये दलाल बंडलों में बंधी फाइलें साइन कराने बाबुओं के पास ही मंडराते रहते हैं, इस काम को कराने के लिए ये लोगों से मोटी रकम वसूलते हैं | आरटीओ में रकम लेकर काम कराने का ये सिलसिला सालों से चला आ रहा है, लेकिन कोई इन दलालों से आज़ादी नहीं दिला पा रहा है | लगातार एक महीने तक चली दलालों की हड़ताल के दौरान आम लोगों के आरसी, रजिस्ट्रेशन से लेकर तमाम काम आसानी से हो रहे थे, लेकिन जैसे ही हड़ताल खत्म हुई दलालों की मनमानी आरटीओ में दोबारा शुरू हो गई | दरअसल, आरटीओ ने कुछ नियमों में बदलाव किया था, जिन्हें वापस लेने के लिए दलाल हड़ताल कर दबाव बना रहे थे | दफ्तर के हर कोने में फिर से ये दलाल नजर आने लगे इससे साफ जाहिर है कि उनकी मांग पूरी हो चुकी है | दफ्तर के बाहर भी लगभग 40 दलाल बाइक, पेड़ के नीचे बैठकर लोगों से काम काराने के लिए सौदेबाजी करते हैं | कई काम तो ऐसे भी हैं, जिनमें वाहन मालिक की उपस्थिती अनिवार्य है, बावजूद इसके वाहन मालिकों के बिना ही दलाल फाइल ओके करा देते हैं | इस मामले में जितेंद्र शर्मा का कहना है कि हम सभी के साथ एक जैसा व्यवहार करते हैं, यदि कोई एजेंट अपनी फाइल लेकर सीधे दफ्तर के कमरों में प्रवेश कर रहा है तो उस पर निश्चित ही कार्यवाही की जाएगी, लेकिन ये कार्यवाही कब होगी इसका जवाब उनके पास नहीं है |