भोपाल : प्रदेश के उप स्वास्थ्य केन्द्रों में स्वास्थ्य विभाग की मनमानी थमने का नाम ही नहीं ले रही उप स्वास्थ्य केन्द्रों में दवाई बांटने के लिए फार्मासिस्ट के पद स्वीकृत होने के बाद भी भर्ती नहीं हुई और उप स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह से नर्सिंग स्टाफ के भरोसे चलाए जा रहे हैं | नेशनल हेल्थ पॉलिसी में केंद्र में बतौर कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर तैनाती के लिए बीएससी नर्सिंग, फार्मासिस्ट, आयुष डॉक्टर, जीएनएम को योग्य माना है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग महज नर्सिंग और आयुष विंग की एक विंग आयुर्वेद को ही इस पद के लिए योग्य मान रहा है | इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने 6 माह की ट्रेनिंग करवाकर केंद्र में हेल्थ ऑफिसर के पद पर नियुक्ति देने का फ़ैसला ले लिया है ऐसा करके स्वास्थ्य विभाग ने पात्रता रखने वाले योग्य अभ्यर्थियों की नौकरी की संभावना को ही समाप्त कर दिया है | गौरतलब है कि पॉलिसी में जिन आयुर्वेद डॉक्टरों को सीएचओ बनाया जा रहा है वे तो अपने अध्यनकाल के दौरान अंग्रेजी दवाओं के बारे में पढ़ाई तक नहीं करते लेकिन नेशनल हेल्थ मिशन इन्हें 6 माह में अंग्रेजी दवाओं से इलाज की पूरी ट्रेनिंग दे रहा है | इतना ही नहीं जिन दवाओं के बेसिक नॉलेज के लिए भी कम से कम 18 माह की ट्रेनिंग आवश्यक है ऐसे में इन्हें महज 6 माह की बेसिक ट्रेनिंग देकर एमबीबीएस के समान सरकारी अस्पताल में पदस्थ कर प्रदेश की जनता की जान जोखिम में डाल रहे हैं | इधर स्टेट फार्मासिस्ट एसोसिएशन के संयोजक राजन नायर का कहना है कि एनएचएम की पॉलिसी के अनुसार फार्मासिस्ट को भी कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर के पद पर भर्ती किया जाना चाहिए | नायर का तर्क है कि आयुष विंग की तीनों शाखाओं जिसमें आयुर्वेद, यूनानी, और होम्योपैथी डॉक्टर आते हैं, इन सभी का कोर्स 4 साल का होता है लेकिन पूरे कोर्स की अवधि में विद्दार्थी जड़ी-बूटी के बारे में पढ़ते हैं, इन्हें एलोपैथी दवाइयों के बारे में कोई ज्ञान नहीं होता इसलिए इन्हें उप स्वास्थ्य केन्द्रों में सीएचओ के पद पर पदस्थ किया जाना सरासर गलत है, ये लोगों की जान जोखिम में डाल सकता है |