भोपाल : 24/12/2024 : मप्र में अब भ्रष्ट अफसर-कर्मचारी प्रकरण दर्ज होने के बाद अधिक समय तक अभियोजन से नहीं बच पाएंगे | सामान्य शासन विभाग ने सोमवार को आदेश जारी किए हैं कि भ्रष्टाचार या घूसख़ोरी का केस दर्ज होता है तो सीधे नियुक्तिकर्ता अधिकारी ही अभियोजन स्वीकृति दे सकेंगे | यदि किसी पंचायत सचिव के खिलाफ केस दर्ज होता है तो सहमति जिला पंचायत सीईओ दे पाएंगे इसके बाद विभाग की सहमति जरूरी नहीं होगी | अब तक विभाग की सहमति जरूरी होती थी, इसलिए हर बड़े छोटे मामले सरकार तक आते थे, लेकिन अब नियुक्तिकर्ता अधिकारी प्रकरण का परीक्षण कर जांच एजेंसी को भेजेगा | जांच एजेंसी चालान प्रस्तुत कर अधिकारी को सूचित करेगी | इसके बाद विधि विभाग फॉलोअप लेगा पूरी प्रक्रिया 45 दिन में होगी | अब तक विधि विभाग से अभिमत अनिवार्य नहीं था | यदि नियुक्तिकर्ता अधिकारी असहमत है तो वह कारण सहित विधि विभाग को भेजेगा | इसके बाद विधि विभाग अभिमत संबंधित विभाग को भेजेगा | यदि दोनों विभाग आपस में सहमत नहीं हैं तो मामला संबंधित विभाग के माध्यम से कैबिनेट में आएगा | अब तक कैबिनेट में पहले समय सीमा तय नहीं थी, अब कैबिनेट को 45 दिन में निर्णय लेना होगा | इस तरह 3 महीने अभियोजन स्वीकृति में 3 महीने लगेंगे | किसी अफसर के खिलाफ निजी परिवाद आता है तो उस स्थिति में संबंधित का पक्ष सुनना जरूरी होगा | सुनवाई के बाद 3 माह में प्रकरण का निराकरण करना होगा |