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टंकी की सफाई को लेकर निगम की कार्यशैली में लापरवाही उजागर, पिछले टेंडर के 21 लाख बचने के बावजूद 48 लाख का नया टेंडर निकाला अफसर टेंडर देने के नाम पर खूब चाँदी काट रहे है।


भोपाल : 01/02/2025 : नगर-निगम के अफसरों की मनमानी का क्या कहिए ये जिस तरह चाहे सरकार का खजाना खाली कर सकते हैं, क्योंकि इन पर कोई सख्ती बरतने वाला नहीं है | नगर-निगम के अफसरों की धांधलाई कई बार सामने आने के बाद भी इनकी ओर से लापरवाही बरतना कम नहीं हो रहा है | कभी निगम की कचरा उठाने वाली गाड़ियां पेट्रोल भरवाने के नाम पर लाखों रु. का चूना लगाती हैं तो कभी साफ सफाई के नाम पर अफसरों की मिलीभगत से खजाना लूटा जा रहा है | जितना काम नहीं करवाते उससे अधिक पैसा लेकर अपनी जेबें भरने में लगे हैं | इसी तरह का एक मामला निगम अफसरों की लापरवाही का ओर सामने आया है जिसमें चहेतों को लाभ पहुंचाने का खेल खेला जा रहा है | दरअसल, 2022 में पानी की टंकियों की सफाई के लिए 56 लाख रु. का टेंडर जारी कर चार फ़र्मों को काम देने के लिए फाइल बनाई गई, लेकिन निगम अफसरों की मिलीभगत के चलते सिर्फ दो फ़र्मों को ही काम दिया गया | इसमें ग्लोबल इंफ्राटेक को 31 लाख और मनोजवाया को करीब 4 लाख रु. का काम सौंपा गया बाकी दो फार्म पुष्पा इंफ्राटेक्चर और कॉस्मास कंस्ट्रक्शन को काम ही नहीं दिया | पिछले साल का 21 लाख रु. का काम होना अभी बाकी है बावजूद इसके अफसरों ने 48 लाख रु. नया टेंडर निकाल दिया | इस बार के टेंडर में एक नई शर्त ये जोड़ दी गई कि जिसने पिछली बार टंकी की सफाई का 25% काम किया हो, उसे ही काम दिया जाएगा | इस हिसाब से पुष्पा व  कॉस्मास कंस्ट्रक्शन को काम नहीं मिला क्योंकि उन्होने पिछली बार काम नहीं किया था | जब अफसरों से बची हुई राशि का सवाल किया गया तो उन्होने रुपए बचने की बात पर तो हां बोला लेकिन कितने रुपए हैं इस पर उन्होने चुप्पी साध ली | इधर पुष्पा इंफ्राटेक्चर के संचालक का कहना है कि जो अफसरों के साथ अच्छा तालमेल बैठा लेता है उसे ही काम मिलता है हमे पिछली बार 14 लाख का काम मिला था, लेकिन अफसरों ने एक भी टंकी साफ नहीं कराई इस बार नई शर्त जोड़कर हमें टेंडर में शामिल ही नहीं किया | कॉस्मास कंस्ट्रक्शन के संचालक ने कहा कि यहां तो निगम अफसरों से सांठगांठ होने पर ही काम मिलता है, भले ही किसी को काम आता हो या फिर नहीं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता | पानी की टंकियों की सफाई को लेकर हमेशा ही निगम अफसरों की कार्यशैली पर सवाल उठते रहे हैं | दरअसल निगम अफसरों को टंकी सफाई को लेकर टंकी के गेट पर ही तारीख लिखनी होती है, लेकिन अफसरों की अनदेखी के चलते इसे भी नजरंदाज किया गया | शहर में ऐसी कई सारी टंकियां हैं जिनकी सफाई में लापरवाही बरती जा रही है | अशोका गार्डन स्थित पानी की टंकी के गेट पर तो सफाई की कोई तारीख ही नहीं लिखी गई | वहीं करोंद स्थित विश्वकर्मा नगर की टंकी की सफाई किए हुए छह महीने से अधिक समय बीत गया लेकिन सफाई नहीं हो रही है ऐसे में अफसर महज सफाई के नाम पर खानापूर्ती करने के लिए ही टेंडर जारी कर रहे हैं वही दूसरी और इस तरह कि खबरे भी आ रही है कि टेंडर देने के नाम पर निगम के जल विभाग के अफसर खूब चाँदी काँट रहे है।|

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