भोपाल : 06/02/2025 : पीडब्ल्यूडी के अफसरों की लापरवाही के कारण सरकार को करोड़ों रु. का नुकसान हुआ है | दरअसल, छिंदवाड़ा, छतरपुर, पन्ना मेडिकल कॉलेज भवन निर्माण के लिए 2018 में तत्कालीन चीफ इंजीनियर व ईई ने बगैर डीपीआर तैयार किए ही 270-270 करोड़ रु. के टेंडर जारी कर दिए, जबकि हर कॉलेज की जगह, डिजाइन, भूमि परीक्षण और स्थानीय परिस्थितियों का आकलन करने के बाद डीपीआर तैयार होना थी | इसमें हर भवन की लागत अलग-अलग होना चाहिए थी | शिकायत होने के बाद पीडब्ल्यूडी ने जांच कराई और 2019 में तीनों टेंडर निरस्त कर दिए | 2020 में दोबारा टेंडर हुए तीनों भवनों के लिए लागत करीब 450 करोड़ रु. तक बढ़ गई | जो लागत पहले कुल 710 करोड़ हो रही थी, वह अब 1160 करोड़ हो गई है | इस मामले में लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने करीब एक महीने पहले कार्यवाही के निर्देश दिए, इसके बाद तत्कालीन ईएनसी पीआईयू भवन रहे विजय सिंह वर्मा पर पेंशन नियमों के तहत कार्यवाही की जा रही है | इसके अलावा तत्कालीन चीफ इंजीनियर, जबलपुर पीएम मंडलोई और तत्कालीन चीफ इंजीनियर ग्वालियर एनके गुप्ता को नोटिस देकर जवाब मांगा है कि एक ही राशि की तकनीकी स्वीकृति क्यों दी ? इसी तरह इंदौर जिला कोर्ट के भवन निर्माण में देरी से 150 करोड़ का नुकसान हुआ है | एमपीआरडीसी के एमडी अविनाश लवानिया की जांच में सामने आया है कि 2019 में हर्ष कंस्ट्रक्शन को 274 करोड़ में ठेका दिया | काम आगे नहीं बढ़ा तो बिना जुर्माना वसूले ठेका रद्द कर दिया गया | 15 करोड़ अर्नेस्ट मनी भी लौटा दी, अक्टूबर 2023 में अरकान इंफ्रा को ठेका दिया लेकिन उसके दस्तावेज़ फर्जी निकले
