भोपाल(सैफुद्दीन सैफ़ी)
लगता है, प्रदेश की मोदी, मोहन सरकार ने भृष्टाचार के मामलों पर अपनी मौन सहमति देकर प्रदेश के अधिकारियों को ये जतला दिया है, कि जितना मुफ्त का चंदन घिस सकते हो घिसो हम बैठे है ना सुरक्षा की छतरी खोलें
इन दिनों मध्यप्रदेश में स्वास्थ विभाग में भृष्टाचार करने में अधिकारियों में होड़ लगी है। जैसे कि सरकार ने इस पर कोई राष्ट्रीय मेडल प्रदान करने का फैसला ले लिया हो
आइए आज लोकजंग आपने पाठकों के लिए भोपाल में पदस्थ मुख्य चिकित्सा अधिकारी(सी एच एम ओ)डॉ प्रभाकर तिवारी के कारनामों का खुलासा कर रहा है। जिनपर हर स्तर पर जिले के नागरिकों को शिकायतमुक्त स्वास्थ्य सुविधाएं मिले इसको देखने की जिम्मेवारी है। मगर शायद ये तिवारी पहले ऐसे सी एच एम ओ है, जिनके दामन में भृष्टाचार पद का अनुचित लाभ हेराफेरी जोड़तोड़ कर अपने और अपनी पत्नी को लाभ लेने देने के अनेकों किस्से मीडिया में सुर्खियां बन चुके है। मगर मज़ाल है भृष्टाचार के मामलों में जीरों टॉलरेंस की बात करने वाली डबल इंजन यानी मोदी, मोहन सरकार अपने इस कारनामे बाज मुख्य चिकित्साधिकारी प्रभाकर तिवारी का बाल भी बांका कर सकी हो भले ही लोकायुक्त ने तिवारी पर भृष्टाचार का मामला 2024 में दर्ज किया हो मगर ये अपने पद पर बेफिक्री से जमे है। एक डॉक्टर प्रांजल खरे की अवैध नियुक्ति के मामले में भी इनको विभागीय करण बताओ नोटिस दिया गया मगर इनकी प्रभा आज तक कायम है। और तो हम तो मजे करेंगे ही साथ मे धर्म पत्नी को भी करवाएंगे की कड़ी में इन्होंने अपनी पत्नी डॉ प्रज्ञा तिवारी को N H M का प्रभारी संचालक तक नियुक्त करवाया फर्जी भुगतान में एक ट्रेवल एजेंसी को लाखों का आर्थिक लाभ प्रदान किया और पढ़े अभी क्लाइमेक्स बाकी है भोपाल में जितने फर्जी नर्सिंगहोम और डॉक्टर इलाज के नाम पर जनता की जेबें काट रहे है, उन सब पर प्रभाकर तिवारी की कृपा और प्रभा भरपूर बनी रहती है। निजी अस्पताल संचालकों के खिलाफ जब भी कोई मीडिया में खबर छपती है, तिवारी जांच के नाम पर पूरी तरह से दोषी डॉक्टरों के लिए छतरी खोले खड़े पाए जाते है। इनके किस्से और भी है पाठक पड़ते रहे दैनिक लोकजंग
