भोपाल (कशिश मालवीय )मप्र लघु वनोपज संघ द्वारा विंध्य हर्बल के ब्रांडनेम से बनने वाली 200 से अधिक दवाएं और दैनिक उपयोग की वस्तुएं सवालों के घेरे में हैं | आयुष विभाग की ग्वालियर स्थिर लैब में दवाओं की जांच में गड़बड़ी हो रही है | जो दवाएं जांच में फेल होती हैं , उन्हें पैरामीटर बदलकर पास कर दिया जाता है | हर साल करीब 30 करोड़ रूपए की ऐसे कम गुणवत्ता वाली दवाएं और हर्बल प्रोडक्ट आयुष विभाग की डिस्पेंसरियों और आयुर्वेद अस्पतालों में सप्लाई हो रही हैं |आयुर्वेदिक दवाओं की जांच के लिए ग्वालियर में प्रदेश की एकमात्र लैब आयुष विभाग इस लैब से पास दवाओं को ही अपने अस्पतालों में सप्लाई करता है | यहां केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित मानदंडों पर दवाओं की जांच की जाती है लेकिन विंध्य हर्बल की दवाओं में इन नियमों का उल्लंघन हो रहा है | बरखेड़ा पठानी स्थिर मेगा फूड पार्क में विंध्य हर्बल के करीब 60 तरह के चूर्ण , 30 प्रकार की बटी ,20 प्रकार के तेल ,30 प्रकार के अरिष्ट था 15 तरह के भस्म बनते हैं | 2021 तक तो इनकी गुणवत्ता ठीक रही और ये केंद्र सरकार के मानकों पर खरे उतरते रहे | लेकिन फिर ये सैंपल फिल होने लगे | उसके बाद अधिकारियों ने नर्मदापुरम रोड स्थिर निजी लैब में जांच कराई | इस लैब के पैमाने पर भी सैंपल फेल हुए | इसके बाद मेगा फूड पार्क ने खुद के पैरामीटर पर अपनी लैब में सैंपल पास किए | इस जांच रिपोर्ट के आधार पर आयुर विभाग के अफसरों से साठगांठ करके सरकारी लैब से भी ओके रिपोर्ट ले ली इस प्रक्रिया से केंद्र के मानकों का उल्लंघन हो रहा है | नियमानुसार केंद्र के मानक तभी बदले जा सकते हैं , जब दवा में नए अवयव मिलाए जाएं | लेकिन दवा में नए तत्व मिलाए बिना ही मानक बदले जा रहे हैं | जोड़ों के दर्द, गठिया में इस्तेमाल होने वाले सिंहनाद गुग्गुल की जांच आयुष विभाग की ग्वालियर स्थिर प्रयोगशाला में 6 सितंबर 2024 को की गई | यह दवा टोटल एश एसिड इनसाल्युबल एश व अल्कोहल सौल्युबल एक्सट्रैकक्टिव जैसे मानकों पर खरी नहीं उतरी | 7 अक्टूबर 2024 को इस दवा की दोबारा जांच हुई | इसमें टोटल एश के पैमाने को 7% से अधिक बढ़ाकर 30% कर दिया | इसी तरह एसिड इनसाल्युबल एश के मानक को 3.5% से अधिक बढ़ाकर 15% कर दिया | जबकि अल्कोहल सोल्यूबल एक्सट्रैकक्टिव का मानक ही हटा दिया | दवा पास बताकर अस्पतालों में भेज दी |
प्रसारिणी तेल जिन मानकों पर फेल , दोबारा जांच में वे हटाए साइटिक और गर्दन के दर्द में इस्तेमाल होने वाले इस आयुर्वेदिक तेल की जांच आयुष विभाग की प्रयोगशाला में 16 फरवरी 2024 को हुए | इसमें यह स्पेसिफिक ग्रैविटी , सैपोनीफिकेशन वैल्यू और मिनरल ऑइल ले नियमों पर फेल हो गया | यही दवा 7 अक्टूबर 2024 को पास कर दी गई इनके मानकों पर दवा फेल हुई थी , दोबारा जांच में वे पैरामीटर ही हटा दिए गए और तेल को पास कर सभी जगह सप्लाई कर दिया गया |
फलत्रिकादि क्वाथ चूर्ण केंद्र सरकार के सभी मानक ताक पर कब्ज अपच और गैस सहित लोवर के लिए रामबाण इस चूर्ण के सैंपल पास करने में लैब ने सारे मानक ताक पर रख दिए | केंद्र के नियम के अनुसार दवा में लॉस ऑन ड्राइंग 3% से अधिक नहीं होनी चाहिए | लेकिन आयुष विभाग की लैब में इसे 10% कर दिया गया | इसी पर टोटल एश , एसिड इनसोल्यूबल एश , वाटर और अल्कोहल साल्यूबल एक्सट्रैकक्टिव सहित सभी नियमों में बड़े स्तर पर बदलाव किया | इस आधार पर दवा को पास कर अस्पतालों में भेज दिया गया |
मंत्री – अफसर जवाब देने से बच रहे है लोकजंग ने इस मामले पर आयुष मंत्री इंदर सिंह परमार , प्रमुख सचिव डीपी अहूजा और आयुष विभाग की कमिश्नर उमा माहेश्वरी को काईं बार कॉल और मैसेज किए , लेकिन मंत्री – अफसर सभी जवाब देने से बच रहे हैं |