भोपाल ( कशिश मालवीय ) राजधानी को भिखारियों से मुक्त करने के लिए जिला प्रशासन सहित 7 विभागों की टीम ने पूरे शहर में सर्वे किया | दावा किया जा रहा था कि शुरुआती महीने में 300 भिखारियों को पकड़कर किया जाएगा पुनर्वास | सभी विभागों ने मिलकर शहर के 2300 भिखारियों को चिन्हित किया | लेकिन 6 महीने बाद भी पहुंचाया गया है | इनता ही नहीं अफसरों ने एक ब्लैक लिस्टेड एनजीओ नेल्लोर शिक्षा समिति को केंद्र च पुनर्वास लाने की ज़िम्मेदारी दे दी | जब अफसरों की कार्यशैली पर सवाल उठाने लगे तो खुद को बचाने और आश्रम केंद्र चलाने के लिए अफसरों ने टेंडर निकले हैं | इधर , पुनर्वास केंद्र संचालक रजिस्टर में फर्जी भिखारी दर्ज कर और बिल लगाकर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं |
भोपाल में 24- 25 फरवरी को जीआईएस ( ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट ) का आयोजन हुआ था | इसके लिए देश – विदेश की बड़ी हस्तियां शहर में आई | ऐसे में शहर के भिखारियों को छिपाने के लिए सरकार ने स्माइलिंग प्रोजेक्ट के तहत इनके पुनर्वास के लिए श्रम , महिला बाल विकास , गृह व सामाजिक सहित 7 विभागों ने भिखारियों का सर्वे किया | बिना टेंडर निकाले ही ब्लैक लिस्टेड एनजीओ को 5 फरवरी से भिखारियों के पुनर्वास केंद्र के संचालन की ज़िम्मेदारी दे दी | इसके लिए नगर निगम ने कोलार में भवन भी उपलब्ध कराया | 5 महीने तक इस संस्था ने काम किया और करीब 10 लाख रूपए का बिल भी सामाजिक न्याय विभाग के पास लगा दिया | जब लोगों ने शिकायत की तो अब अफसरों ने मामले को दबाने के लिए पुनर्वास केंद्र के लिए टेंडर निकाले हैं | टीम जब कोलार स्थित पुनर्वास केंद्र पहुंची तो वहां मात्र सात भिखारी देखने को मिले | अंदर सारे पलंग खाली पड़े थे | कर्मचारियों से बात और खाना रजिस्टर देखने के बाद पता चला कि यहां सात लोगों को खाना खिलाया जाता है और रजिस्टर में 14 लोग दर्ज हैं |
खुद को बचाने अब पुनर्वास केंद्र के लिए टेंडर निकाल रहे अफसर
सामाजिक न्याय विभाग के अफसर बोले – एनजीओ को काम नहीं दिया जिला सामाजिक न्याय एवं दिव्यांग विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर आरएस सेमुअल का कहना है कि उन्होंने एनजीओ को कोई ज़िम्मेदारी नहीं दी | वह अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं | हमने पुनर्वास केंद्र के संचालन के लिए टेंडर निकाला है |
कलेक्टर कह रहे – तत्काल में सिर्फ दो महीने के लिए दिया था काम भोपाल कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह का कहना है कि शुरुआत में कोई दूसरे एनजीओ नहीं मिला इसलिए हमने तत्काल में भिखारियों के पुनर्वास के लिए नेल्लोर शिक्षा समिति को सिर्फ 2 माह का काम दिया था | इनके खाने – पीने के वास्तविक बिल का ही भुगतान किया जाएगा |
हकीकत पुनर्वास केंद्र में 7 भिखारी , रजिस्टर में 14 दर्ज टीम कोलार स्थित पुनर्वास केंद्र पहुंची तो बाहर सिर्फ 7 भिखारी बैठे हुए थे | वहां कर्मचारी ने बताया कि अभी तक सिर्फ 34 भिखारी वहां पहुंचे हैं | कर्मचारी ने बताया कि सुबह – शाम भिखारियों को नाश्ता – खाना दिया जाता है | दीनदयाल रसोई संचालक के रजिस्टर में रोजना 7 लोगों को खाना खिलाया जाना दर्ज है | वहीं , पुनर्वास केंद्र के रजिस्टर में 14 लोग दर्ज हैं इससे साफ है कि खाने के नाम पर भी फर्जी बिल लगाया जा रहा है | केंद्र में शौचालय नहीं है इसलिए जो भी सुलभ शौचालय में जाएगा उसे 10 रूपए भुगतान करना होता है | शौचालय में भी फर्जी लोगों के नाम से बिल लगाए जा रहे हैं यहां कुल 7 कर्मचारी हैं | लेकिन मौके पर सिर्फ 3 ही मिले |
2022 – 23 में नेल्लोर शिक्षा समिति को किया ब्लैकलिस्ट
जिले के आश्रमों की जांच करने केंद्र की टीम 2022 – 23 में भोपाल पहुंची थी | इस समय नेल्लोर शिक्षा समिति द्वारा संचालित व्रध्द आश्रम में कई अनियमिताएं मिली थीं इसके बाद केंद्र की टीम ने इस एनजीओ को ब्लैकलिस्ट कर दिया था | वहीं केंद्र से मिलने वाले फंड को भी रोक दिया | इधर , एनजीओ की संचालक संगीता ने निरीक्षण करने आए अफसर पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है |
एनजीओ संचालक बोलीं – अफसरों ने ही दिया काम पुनर्वास केंद्र का संचालक करने वाले संगीता नेल्लोर का कहना है , कि उन्हें खुद सामाजिक न्याय विभाग के तत्कालीन अफसर आरके सिंह ने संचालन करने को कहा है | नगर निगम ने भवन भी उपलब्ध कराया | हमें अभी तक कोई राशि नहीं दी गई | करीब 10 10 लाख का बिल पेंडिग है | निगम आयुक्त हरेन्द्र नारायण , टीना यादव सहित अन्य अफसर कई बार केंद्र आ चुके हैं |