भोपाल ( सैफुद्दीन सैफी )
मध्य प्रदेश के दमोह जिले मेँ मिशन हॉस्पिटल मेँ पदस्थ फर्जी हार्ट विशेषज्ञ बनकर अनगिनत मरीजों को मौत के घाट उतारने वाला फर्जी डॉक्टर नरेंद्र यादव पुलिस की पकड़ मेँ तो आगया है। मगर साथ ही इस शर्मनाक कांड ने मध्य प्रदेश के हेल्थ डिपार्टमेन्ट के अफसरो की लापरवाही और उनकी घूसख़ोरी की कलाई भी खोल कर रख गया।
जिनके संरक्षण मे नरेंद्र जैसे न जाने कितने अभी भी इलाज के नाम पर आम आदमी की जेबे काटकर उनको मौत के घाट उतार रहे है। जाने कितने फर्जी डॉक्टर प्रदेश के स्वास्थ सिस्टम मे भरे पड़े है?
सवाल ये उठता है कि हमारे प्रदेश कि सरकार जब कोई घटना बड़े पैमाने घटित हो जाती हे तभी गहरी नींद से क्यो जागती है?
निजी अस्पतालो मे होने वाली मौतों कि जानकारी जिले के सी एम ओ को भेजी जाती है क्या ये जानकारी सिर्फ जिले का स्वास्थ विभाग आकंडे एकत्रित करने के लिए रखता है उसकी कोई जवाबदारी नही होती है कि किसी अस्पताल मे इलाज के दौरान लगातार हो रही मौतों पर वो कोई जांच पड़ताल करे और अगर कोई फर्जी डॉक्टर इसमे लिप्त है तो उसपर कठोर कार्यवाही के लिए जिला प्रशासन को कहे आखिर प्रदेश के मुखिया मोहन यादव कब स्वास्थ विभाग के अफसरो पर चाबुक चलाकर उनको उनकी जवाबदेही का बोध कराएंगे?