भोपाल ( कशिश मालवीय) मध्यप्रदेश में सरकारी कम में पारदर्शिता लाने व जवाबदेही को बढ़ावा देने , भ्रष्टाचार रोकने व अन्य उद्देश्यों के लिए सरकार ने आरटीआई एक्ट ( सूचना का अधिकार अधिनियम – 2005 ) लागू तो कर दिया लेकिन यह भी शासकीय लेटलतीफी का शिकार हो रहा है | यही कारण है कि इस एक्ट के तहत लोगों को आवेदन करने के बावजूद तय समय में सरकारी विभागों से सूचना नहीं मिल पा रही है | इसके लिए की गई अपीलों पर भी फैसला नहीं हो पाता मप्र राज्य सूचना आयोग में 2021 से अब तक आरटीआई की 20 हजार 833 दूसरी अपीलें लंबित हैं | इनमें सबसे अधिक मामले नगरीय विकास व प्रशासन विभाग के हैं | यह आंकड़ा आयोग ने जबलपुर हाईकोर्ट में दायर एक याचिका को लेकर पेश किए गए हलफनामे में दिया है |
दरअसल सतना के ही एक सामाजिक कार्यकर्ता ने राजस्व विभाग से एक जानकारी लेने के लिए आरटीआई एक्ट के तहत आवेदन दिया था | तय समय में यह जानकारी नहीं मिली तो उन्होंने आगे की प्रक्रिया की | इस विभाग में पहली अपील की इस पर भी समाधान नहीं हुआ तो राज्य सूचना आयोग में दूसरी अपील की जो एक साल से लंबित है | इसे लेकर उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था | उन्होंने याचिका ( 19705 /2025 ) में मुद्दा उठाया कि आरटीआई एक्ट के तहत नागरिकों को सरकारी विभागों व अधिकारियों से सूचना मांगने और तय समय में जानकारी लेने का अधिकार है , लेकिन इसकी प्रक्रिया में कई बाधाएं और लापरवाही सामने आ रही है | इनमें राज्य सुंचना आयोग की कार्यप्रणाली अपीलों का निपटारा और पेंडिंग मामलों की संख्या प्रमुख हैं | उन्हें भी तय समय में जानकारी नहीं मिलने से न्याय नहीं मिल पा रहा है | आयोग में लागतार अपीनें लंबित होती जा रही हैं इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आयोग को आवेदन की दूसरी अपील का निराकारण 45 दिन में करने का आददेश दिया |
आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त के एक और सुचना आयुक्त के नौ पद स्वीक्रत हैं | अभी मुख्य आयुक्त और तीन सूचना आयुक्त ही कार्यरत हैं , मुख्य सूचना आयुक्ता रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी विजय यादव हैं | इनके अवाला तीन सूचना आयुक्त डॉ. वंदना गांधी ( सामाजिक कार्यकर्ता ) डॉ. उमाशंकर पचौरी ( शिक्षाविद ) और ओमकार नाथ ( सेवानिव्रत्त न्यायाधीश हैं | बाकी पद खाली होने से अपीलों की सुनवाई में देरी हो रही है |
मामले को लेकर जब राज्य सूचना आयोग के आयुक्त विजय यादव से बात की गई | उनका कहना था कि मैं शिकायतों के लंबित प्रकरणों के बारें में मैं जानकारी नहीं दे सकता हूं | आयोग में खाली पड़े पदों की जानकारी भी मुझे नहीं है |