भोपाल ( कशिश मालवीय ) प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में मरीजों की जांच ऊंची दरों पर करने और फर्जी मरीजों के नाम पर करोड़ों रुपए घपला करने के आरोप लगे हैं | अस्पताल में जांच सुविधाएं देने के लिए अनुबंधित साइंस हाउस मेडिक्ल्स प्राइवेट लिमिटेड पर कई गंभीर आरोप लगे हैं | कंपनी के भ्रष्टाचार और मिलीभगत की कहानी टेंडर लेने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया से ही शुरू हो गई थी , टेंडर के लिए साइंस हाउस ने सबसे अधिक छूट का प्रस्ताव दिया , प्रतिव्दव्दी एल – 2 कंपनी भी दूसरे नंबर पर थी | प्रक्रिया में दोनों कंपनियां आमने – सामने थी , लेकिन ठेका साइंस हाउस को मिला , इसके बाद एल – 2 कंपनी न्यूबर्ग का विलय साइंस हाउस में हो गया , फिर दोनों ने पार्टनरशिप में काम भी शुरू कर दिया | यानी सिर्फ टेंडर में छह प्रतियोगिता के लिए ही यह फर्म बनी थी | राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने साइंस हाउस पर भारी भ्रष्टाचार और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने के गंभीर आरोप लगा डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल से उच्चस्तरीय जांच की मांग की है | सिंह ने आरोप लगाया कि साइंस हाउस ने फर्जी मरीजों और काल्पनिक जांचों को दिखाकर सरकार से सैकड़ों करोड़ रुपए का भुगतान लिया |
एनएचएम के जारी टेंडर प्रक्रिया के दौरान दो कंपनीयां साइंस हाउस मेडिकल्स प्रालि और न्यूबर्ग सुप्राटेक रिफ्रेंस लैबोरेट्रीज प्रालि प्रतिव्दव्दी की तरह सामने आईं | दोनों ने अलग – अलग बोली लगाई और दरें दीं , प्रक्रिया पूरी हो के बाद वर्क ऑर्डर साइंस हाउस और सोदानी हास्पिटल्स एंड डायग्नोस्टिक प्रा लि के समूह को 3 नवंबर 2021 को जारी किया | लेकिन एक माह बाद ही साइंस हाउस और न्यूबर्ग का विलय हो गया | वे साझेदार बन गए | इसके बाद साइंस हाउस को मिले देनदार पहनाया | बताया जा रहा है कि टेंडर के डॉक्यूमेंट में ऐसी मिलीभगत पूरे तरीके से प्रतिबंधित थी | ऐसा होने पर दंडात्मक कार्रवाई के प्रावधान भी थे , लेकिन पूरे मसले पर तत्कालीन ज़िम्मेदारों ने आंखे मूंद लीं है नतीजा खुलकर सरकारी खजाने को खाली करने की चालबाजी चल रही है |