भोपाल : 26/12/2024 : नगर-निगम का काम होता है अवैध निर्माणों को रोकना न कि खुद अवैध रूप से निर्माण करना लेकिन भोपाल नगर निगम में तो कुछ अलग ही हो रहा है | यहाँ तो अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलाने वाले नगर निगम ने ही अवैध निर्माण करने का काम शुरु कर दिया है | नगर निगम के 250 करोड़ के हाउसिंग और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बिना बिल्डिंग परमिशन के बनाए जा रहे थे, जिनका निर्माण अब अटक गया है | यही नहीं जहां बिल्डिंग परमिशन ली वह भी नियम विरुद्ध है | आवासीय लैंड यूज में बिना बदलाव किए यहाँ कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बना दिये गए हैं | हैरानी की बात तो यह है कि 250 करोड़ के प्रोजेक्ट जिस प्रॉपर्टी पर डेवलप किए जा रहे हैं उसका मालिकाना हक़ नगर निगम को मिला ही नहीं है बल्कि ये दूसरे विभागों के नाम पर हैं | अब मालिकाना हक़ पाने के लिए नगर निगम के इंजीनियर, शासन, जिला प्रशासन बिल्डिंग परमिशन शाखा और रेरा में रजिस्ट्रेशन के लिए चक्कर लगा रहे हैं | कई मामलों में तो निगम के बिल्डिंग शाखा ने बने हुए स्ट्रक्चर पर बिल्डिंग परमिशन देने से इंकार कर दिया हैं | इस गड़बड़ी के पीछे 21 ज़ोन में काम करने वाले इंजीनियर्स ने प्रोजेक्ट शुरू करते समय ध्यान नहीं रखा कि प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए भू-स्वामित्व नगर-निगम के नाम पर होना जरूरी है इन अफसरों में सब इंजीनियर, एई व ईई भी हैं | अब संबंधित ज़मीनों का मालिकाना हक़ नगर-निगम के नाम पर करना होगा | टीएंडसीपी से मास्टर प्लान के आधार पर लैंड यूज में बदलाव की प्रक्रिया पूरी करनी होगी | निगम की बिल्डिंग परमिशन शाखा से अनुमति लेनी होगी हालांकि सवाल यह है कि बड़ा नगर-निगम बने हुए स्ट्रक्चर पर बिल्डिंग परमिशन कैसे देगा ? नियम का कैसे उल्लंघन करेगा ? यदि परमिशन शाखा से अनुमति मिल गई तो रेरा में प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन होगा | रेरा नंबर मिलने के बाद ही प्रोजेक्ट्स बेचे जा सकेंगे |
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