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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान भोपाल में एक बार फिर गड़बड़ियों का मामला सामने आया है |


भोपाल ( कशिश मालवीय ) अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स ) भोपाल में एक बार फिर गड़बड़ियों का मामला सामने आया है | यहां के ब्लड बैंक में डीजीएचएस ( डाइरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विस ) की तय फीस के अलावा भी 120 रुपए प्रति मरीज से वसूले जा रहे हैं | यह वसूली एम्स में ब्लड बैंक की स्थापना के दिन से ही चल रही है | एम्स में हर साल बीएलडी देने के नाम पर मरीजों से करीब 45 लाख रूपए की अवैध वसूली की रही है | इसके साथ रूपए की अवैध वसूली की जा रही है | इसके साथ ही ब्लड डोनेट करने वालों और ब्लड लेने का रिकॉर्ड भी मेंटेन नहीं किया जा रहा रहा है | कई शिकायतों के बाद सेंट्रल ड्रग्स स्ट्रेंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन इंदौर ( सीडीएससीओ ) और ड्रग कंट्रोलर टीम भोपाल की जांच टीम को भी यह तमाम खामियां निरीक्षण के दौरान मिलीं | डीजीएचएस की गाइडलाइन के मुताबिक एम्स भोपाल में ब्लड लेने के लिए केवल 1050 रूपए ही देने होते हैं | इस फीस में क्रॉस चेकिंग और टेस्टिंग भी शामिल है | इसके बाद भी क्रॉस मैचिंग और टेस्टिंग के नाम पर 120 रुपए लिए जा रहे हैं | डोनर होने के बाद भी मरीज से यह किस ली जा रही है | इस तरह हर साल करीब 45 लाख रूपए की अवैध वसूली हो रही है

मेडिकल ऑफिसर , फिर भी मेडिकल सुपरिटेंडेंड बने इंचार्ज सीएफडीए ने नोटिक मै ब्लड बैंक का इंचार्ज शशांक पुरवार को बनाने पर अपत्ति जताई है | नोटिस में साफ लिखा है कि ब्लड बैंक लाइसेंस के अनुसार , ब्लड केंद्र में चार मेडिकल ऑफिसर हैं | अब ब्लड बैंक की सभी गतिविधियां केवल प्रभारी चिकित्सा अधिकारी की देखरेख में ही संचालित की जाएंगी | जबकि अब तक ब्लड बैंक के इंचार्ज मेडिकल सुपरिटेंडेंड शशांक हैं |

2024 – 2025 के मास्टर रिकॉर्ड में भी खामियां सीडीएससीओ और कंट्रोलर फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ( सीएफडीए ) भोपाल  की टीम ने 10 जुलाई को एम्स भोपाल का निरीक्षण किया | जांच टीम ने 18 जुलाई को रिपोर्ट बनाकर नोटिस जारी कर जवाब मांगा | नोटिस में कहा गया कि साल 2024 और 2025 के मास्टर रिकॉर्ड में खामियां मिलीं | जिसमें ब्लड खरीदी का कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं हैं | वहीं , एम्स प्रबंधन अब जवाब देने में आनाकानी कर रहा है |

ब्लड बैंक को दिए निर्देश

अब ब्लड बैंक को  अपने स्टाफ के काम करने और उनके आने – जाने की पूरी जानकारी रजिस्टर में मेंशन करनी होगी |

ब्लड बैंक को ब्लड यूनिट जारी करने से पहले प्राप्तकर्ता की आईडी का सत्यापन करना होगा और उसका रिकॉर्ड रखना होगी|

जवाब देने 1 माह का समय मांगा

हमने नोटिस का जवाब देने के लिए एक महीने का समय मांगा है | जो कमियां बताई गई हैं , वह प्रशासनिक स्तर की हैं | उनकी जांच करके ड्रग कंट्रोलर को जवाब देंगे |

डॉ. बबीता रघुवंशी , पीआरओ , एम्स भोपाल

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