भोपाल ( कशिश मालवीय ) मध्यप्रदेश राजधानी के जिला जेपी अस्पताल की पोल खुली रोगी कल्याण समिति का अब तक का सबसे बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है, यहां कलेक्टर के अनुमोदन के बिना ही रोगी कल्याण समिति की ओर से कर्मचारियों को नौकरी दे दी गई जब मामले की जांच हुई तो यहां के कर्मचारी न तो नौकरी आदेश पेश कर पाए और न कोई कोई दस्तावेज।
जानकारी के अनुसार अस्पताल में जिम्मेदारों की मनमानी रोगी कल्याण समिति के माध्यम से नौकरी पर रखे गए 22 कर्मचारियों में से 6 कर्मचारी ऐसे मिले हैं जिनके लिए समिति की ओर से न तो अनुमोदन किया गया और न इनके नौकरी आदेश ही जारी किए गए हैं। नवागत सिविल सर्जन की ओर से कराई गई जांच में यह खुलासा हुआ है कि कर्मचारियों से अपने नौकरी आदेश प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था लेकिन 6 कर्मचारियों की ओर से नौकरी आदेश उपलब्ध नहीं कराए गए ऐसे में इन कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया है इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. संजय कुमार जैन से बात की गई लेकिन वे इस मामले में बात करने से बचते नजर आए वहीं , सीएमएचओ इस मामले की गंभीरता से जांच करने बात कर रहे हैं
दरअसल किसी भी जिला अस्पताल की रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष कलेक्टर होते हैं जबकि जिला अस्पताल का सिविल सर्जन समिति सचिव होता है ऐसे में अगर किसी कर्मचारी को रोगी कल्याण समिति में रखने के प्रस्ताव पर कलेक्टर का अनुमोदन जरूरी होता है। इसके आधार पर ही समिति सचिव यानी सिविल सर्जन आदेश जारी करता है लेकिन इन कर्मचारियों के लिए यह प्रक्रिया पूरी नहीं की गई
चौंकाने की बात यह है॰ कि जितने भी कर्मचारी जो बिना आदेश रोगी कल्याण समिति में सालों से जमे थे वे यहां पदस्थ रहे कर्मचारियों के रिश्तेदार हैं इनमें दो कर्मचारी सगे भाई ही हैं इनके पिता जेपी अस्पताल में ड्राइवर थे इन दोनों को भी बतौर ड्राइवर ही रखा गया है इनके अलावा एक – दो लोग राजनीतिक सिफारिश के चलते भी नौकरी करते मिले हैं।
सालों से रोगी कल्याण समिति का प्रभार बीएस यादव के पास था जब इस मामले में उनसे जानकारी मांगी गई तो उन्होंने बार – बार कहने के बाद भी सिविल सर्जन को जानकारी नहीं उपलब्ध नहीं कराई ऐसे में सेविल सर्जन ने बीएस यादव को फटकार लगाई और रोगी कल्याण समिति के प्रभारी पद से हटाया लेकिन हैरानी तब हुई जब यादव को इस ज़िम्मेदारी से हटाकर उससे भी कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण और मलाईदार माने जाने वाले स्टोर प्रभारी पद पर बैठा दिया
जेपी अस्पताल प्रबंधन इस मामले को अब दबाने कि कोशिश में लगे है सिविल सर्जन डॉ. संजय कुमार जैन से बात की गई तो उन्होंने इस मुद्दे पर बात करने से ही इनकार कर दिया शनिवार और रविवार दो दिन लगातार उनसे इस मामले मे स्थिति स्पष्ट करने के बारे मे बात करना चाही मगर उन्होने व्यस्त होने का बहना बनाकर टाल दिया
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