लखनऊ : 24/01/2025 : मप्र सहित 13 राज्यों में करीब 200 टोल प्लाजा के कंप्यूटर में फर्जी सॉफ्टवेयर बनाकर करोड़ों रु. वसूलने का कारनामा उजागर हुआ है | इस कारनामे को अंजाम देने वाला आरोपी आलोक सिंह सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, जो एनएचएआई के सॉफ्टवेयर बनाने और इंस्टाल करने का काम करता है | आलोक ने एमसीए किया है, और पहले टोल प्लाजा पर ही काम करता था | टोल प्लाजा पर काम करते हुए वह टोल प्लाजा का ठेका लेने वाली कंपनियों के ठेकेदारों के संपर्क में आया | आलोक ने कंप्यूटर में एनएचएआई के सॉफ्टवेयर जैसा एक और सॉफ्टवेयर इंस्टाल करके फास्ट टैग रहित गाड़ियों से करोड़ों की टोल टैक्स वसूल कर पिछले 2 साल में एनएचएआई को करीब 120 करोड़ रु. का चूना लगाया है | रीज़नल ऑफिस ने सभी अधिकारियों को इस बारे में अलर्ट व जांच की एडवाइजरी जारी की है | इस घोटाले में टोल टैक्स ठेकेदार की मिलीभगत भी शामिल है | यूपी के अतरैला शिव गुलाम टोल प्लाजा लालगंज, मीरजापुर पर इंस्टाल उक्त सॉफ्टवेयर से रोज औसतन 45 हज़ार रु. टोल घोटाला हो रहा था | नकली सॉफ्टवेयर से निकाली गई टोल टैक्स पर्ची एनएचएआई जैसी ही होती थी | एनएचएआई को शक न हो इसलिए फास्ट टैग रहित वाले वाहनों में 5% को ही एनएचएआई सॉफ्टवेयर पर बुक किया जाता था | आरोपी जिन गाड़ियों की दोगुना टैक्स की पर्ची निकालते उन्हें टोल फ्री की श्रेणी में रखते थे | यूपी एसटीएफ ने टोल गबन के मास्टर माइंड आलोक सिंह और टोल प्लाजा के दो मैनेजर को गिरफ्तार किया है गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है |