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टीबी से मौत के केस बढ़ते हुए देखकर कर राज्य सरकार की राय घर–घर होगी मरीजों की जांच


भोपाल ( कशिश मालवीय )प्रदेश में टीबी क्षय रोग संक्रमण अब भी गंभीर चुनौती है | आंकड़े बताते हैं की बीते साल प्रदेश में टीबी से 5000 से अधिक मौत हुई | पौने 2 लाख से अधिक मरीज संक्रमित हैं | हर साल औसतन  20 हजार नए मरीज सामने आते हैं | इन चिंताजनक आंकडों के बाद राज्य सरकार ने तय किया है कि अब टीबी से लड़ाई सिर्फ सरकारी अस्पतालों , तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि निजी डॉक्टर नर्सिंग होम पैथलॉजी लैब और केमिस्ट को भी इस मिशन जोड़ा जाएगा | इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम ) के अंतरगर्त पेशेंट प्रोवाइडर सपोर्ट एजेंसी (पीपीएसए) की नियुक्ति की जा रही है | अब मरीजों को जांच या दवा के लिए बार-बार अस्पताल नहीं जाना होगा | बलगम के नमूने और जांच की रिपोर्ट की व्यवस्था घर से ही की जाएगी |

यह योजना फिलहाल इंदौर , उज्जैन , ग्वालियर और रीवा संभाग में शुरू की जा रही है | इससे 30 जिलों के मरीजों को लाभ मिलेगा , जहां पीपीएसए को टीबी से जुड़ी सेवाओं के लिए निजी क्षेत्र से समन्वय करना होगा | एनएचएम निजी एजेंसी के जरिए तीन साल काम करेगा | राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम एनटीईपी के तहत चुनी गई | एजेंसी को निजी डॉक्टरों और अस्पतालों से मरीजों की सूचना एकत्र करनी होगी और उन्हें सरकारी पोर्टल पर दर्ज करवाना होगा | एनएचएम की राज्य डीबी अधिकारी डॉ. स्म्रती सिंह ने बताया कि टीबी मुक्त भारत अभियान में मरीजों की पहचान  जांच और उपचार के साथ दवाइयों की उपलब्धता , फॉलोअप और पोषण भी सुलभ कराया जा रहा है |

राज्य सरकार ने पहले चरण में जिन चार संभागों को शामिल किया है , वहां 30 जिलों में 37 हजार 120 मरीजों की पहचान और इलाज का लक्ष्य रखा गया है | हर जिले में मौजूद निजी अस्पताल , क्लीनिक , लैब और मेडिकल स्टोर की 100 प्रतिशत मैपिंग कराई जाएगी | इन्हें सिएमई ( निरंतर चिकित्सा शिक्षा ) के जरिए प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे टीबी नियंत्रण मिशन में सक्रिय भूमिका निभा सकें | दरअसल टीबी रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण होता है | जब टीबी रोग से पीड़ित कोई व्यक्ति खांसता बोलता है तो इसके किटाणु हवा में फैलते हैं और दूसरे को भी रोग से ग्रसित कर देते हैं |

टीबी से मौत में मप्र तीसरे स्थान पर राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम की रिपोर्ट के मामले में मप्र देश में तीसरे स्थान पर है| 2023 में दर्ज 5000 से अधिक मौतों ने विभाग को सोचने पर मजबूर कर दिया है | विधानसभा में पिछ्ले साल पेश किए गए एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य विभाग ने बताया था कि प्रदेश में 1.80 लाख टीबी मरीज हैं | यह आंकड़ा पिछले तीन साल से इसी पर स्थिर है | प्रदेश में 23 हजार से अधिक ग्राम पंचायतें हैं | इनमें से मात्र 2872 ने 2024 में टीबी मुक्त के लिए दावा किया | तब 2325 पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया गया था |

राज्य के 23 जिले संवेदनशील 19 में बढ़े रहे मरीज केंद्र सरकार का लक्ष्य 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का है , लेकिन प्रदेश में टीबी रोगियों की संख्या बढ़ रही है | सरकार ने 347  हाई प्रायोरिटी जिलों में 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान दिसंबर 2024 से शुरू किया है | इसकी निगरानी प्रधानमंत्री प्रगति कार्यक्रम के माध्यम से की जा रही है | अभियान में कई  जिले आलीराजपुर ,अनुपपुर , बैतूल, छतरपुर , उज्जैन विदिशा आदि को संवेदनशील श्रेणी में रखा है | कई जिलों में टीबी के मरीजों की संख्या कम होने के बजाय बढ़ गई है |

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