भोपाल ( कशिश मालवीय ) गाड़ियों की चमक – दमक के पीछे एक बड़ा पर्यावरणीय खतरा छिपा है | शहर में करीब 1000 से ज्यादा वॉशिंग सर्विस सेंटर बिना किसी अनुमति और बिना ( इन्फ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट ) के धड़ल्ले से चल रहे हैं | नियम साफ कहते हैं कि हर वॉशिंग सेंटर को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( पीसीबी ) से अनुमति लेनी होगी | गंदे पानी को नालियों या सड़कों पर बहाने से पहले उनका ट्रीटमेंट जरूरी है , नगर निगम ने अब इन पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है | सभी जोन के एरिया हेल्थ ऑफिसर्स ( एएचओ ) को लिस्टिंग करने के निर्देश दिए हैं |
जल्द ही इन सेंटरों को नोटिस थमाकर पूछा जाएगा कि वॉशिंग सेंटर को किस कार्य के लिए और किस प्रकार की अनुमति दी गई है ? क्या वॉशिंग के लिए अलग से पीसीबी से अनुमति ली गई है ? क्या ईटीपी ( गंदे पानी को साफ करने का प्लांट ) लगाया गया है ? हालांकि , हकीकत यह है कि बड़े और ब्रांडेड सर्विस स्टेशन तो नियमों का पालन करते हैं | कॉलोनियों और गलियों में चलने वाले वॉशिंग प्वाइंट तो अनुमति लेते हैं और न ही प्रदूषण रोकने की कोई व्यवस्था करते हैं | कई जगह पानी सीधे सड़क पर बहता है , जिससे आस – पास कीचड़ और बदबू बनी रहती है |
हर वॉशिंग सेंटर को पीसीबी से कंसेंट टू ऑपरेट लेना अनिवार्य है | ईटीपी लगाना और ट्रीटेड पानी का ही डिस्पोजल करना जरूरी है | सड़कों या खुले में पानी बहाना प्रतिबंधित है |
बड़े सेंटरों ने तो अनुमति ली है , लेकिन छोटे वॉशिंग सेंटर की अनुमति नहीं है , ऐसे सेंटरों को नोटिस जारी कर अनुमति लेने के लिए कहा जाएगा ऐसा न करने पर कार्रवाई की जाएगी | ब्रजेश शर्मा , रिजनल डायरेक्टर , पीसीबी